अपनी पट्टियों और अपने पट्ठों के नायाब प्रदर्शन का दम्भ पाले दक्षिण अफ्रीका गये धोनी के धुरंधरों की धड़कनें बढ़ गई हैं। उनके गुरूर का ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया है। धोनी कल तक जिनकी बलैयां ले रहे थे वही तेज और उछाल मारती पट्टियों पर नाकाबिल साबित हुए हैं। टेस्ट क्रिकेट से पूर्व खेली गई फटाफट क्रिकेट में टीम इण्डिया के न गेंदबाज चले और न ही बल्ले से उनके त्रिदेवों ने कमाल दिखाया। कुछ दिन पहले तक घरेलू पट्टियों पर बब्बर शेर की तरह दहाड़ रहे भारतीय जांबाज बल्लेबाजों को दक्षिण अफ्रीकी पट्टियों और उनके पट्ठों के सामने सांप सूंघ गया और उनकी घिग्घी बंध गई है।
उम्मीद है कि मरती नहीं। हर बार की तरह इस बार भी प्रत्येक हिन्दुस्तानी को यकीन था कि धोनी ब्रिगेड दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर अपने फौलादी प्रदर्शन से 22 साल में पहली बार फटाफट क्रिकेट सीरीज जीतने की अपनी हसरत जरूर पूरी करेगी पर अफसोस उसके धाकड़ बल्लेबाज स्टेन एण्ड कम्पनी की आग उगलती गेंदबाजी के सामने असहाय नजर आये तो हमारे गेंदबाज दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों क्विंटन डी कॉक और हाशिम अमला के हमलावर अंदाज पर जरा भी नकेल नहीं डाल सके। विश्व चैम्पियन और दुनिया की नम्बर एक भारतीय टीम की फटाफट क्रिकेट में शिकस्त ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। टीम इण्डिया की अब तक की दुर्गति को देखते हुए नहीं लगता कि दक्षिण अफ्रीकी टेस्ट क्रिकेट में कुछ रहम दिखाएंगे। दक्षिण अफ्रीका में धोनी ब्रिगेड का दौरा जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, जख्म गहराते ही जा रहे हैं। दक्षिण अफ्रीकी तेज और उछाल भरी पट्टियों पर भारतीय मजबूत बल्लेबाजी की जिस तरह कलई खुली उसकी खूब जगहंसाई हो रही है। तीन मैचों की सीरीज केवांडरर्स पर खेले गये पहले मुकाबले में जहां भारत को 141 रन की करारी शिकस्त मिली वहीं किंग्समीड में उसके जांबाज 136 रन से पस्त हो गये। भला हो बारिश का जिसने सेंचुरियन में भारत को एक और पराजय से बचा लिया। कमजोर गेंदबाजी पर सवालों के साथ शुरू हुए दक्षिण अफ्रीकी दौरे के अधसफर के बाद अब हमारे दबंग बल्लेबाजों पर उंगलियां उठने लगी हैं। अब तक शिखर धवन ने जहां कोई धमाल नहीं मचाया तो विराट कोहली ने भी कोई विराट पारी नहीं खेली है। रोहित शर्मा, सुरेश रैना और युवराज सिंह भी अभी तक अपने बल्लों से इंसाफ नहीं कर पाये हैं। अब तक के भारत के दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर नजर डालें तो पहले मुकाबले में हमारे गेंदबाजों के खराब प्रदर्शन का बल्लेबाजों पर दबाव बना लेकिन दूसरे मुकाबले में अपेक्षाकृत धीमी पट्टी पर भारतीय पट्ठे डेल स्टेन के सामने पनाह मांग बैठे और उसके पांच ओवर पूरा होने से पहले ही मैच का नतीजा दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ हो गया। देखा जाए तो दक्षिण अफ्रीकी दौरे से पूर्व टीम इण्डिया के शीर्ष बल्लेबाज पूरे रौ में थे। शिखर धवन, विराट कोहली और रोहित शर्मा ने अपनी पट्टियों पर न केवल खूब चौके-छक्के उड़ाये बल्कि मौजूदा साल में एक हजार रनों का आंकड़ा भी पार कर दिखाया। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दक्षिण अफ्रीकी तेज आक्रमण के सामने हमारे त्रिदेवों को ही नहीं मध्यक्रम के बल्लेबाजों को भी वहां की पट्टियां रास नहीं आर्इं। तेज उछाल वाली पट्टियां भारतीय बल्लेबाजों के लिए हमेशा से ही दु:स्वप्न रही हैं, यही वजह है कि हमारे बल्लेबाजों को हमेशा घरेलू शेर माना गया। टीम इण्डिया जब-जब आस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड या दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर जाती है, उसके डरपोक बल्लेबाज एक-एक रन को तरसते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में अब तक भारत के पक्ष में शर्मनाक पराजयों के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं लगा है। क्विंटन डी कॉक, हाशिम अमला और कप्तान अब्राहम डीविलियर्स ने जहां अपनी धाकड़ बल्लेबाजी से टीम इण्डिया की गेंदबाजी को भोथरा साबित कर दिखाया वहीं 20 साल के नवोदित बल्लेबाज डी कॉक ने लगातार तीन सैकड़े जमाकर 18 दिसम्बर से होनी वाली टेस्ट सीरीज से पहले भारतीय खेमे में खतरे की घण्टी बजा दी है। डी कॉक जहां सैकड़े पर सैकड़े उड़ा रहा है वहीं हमारे कागजी फौलादी बल्लेबाज दक्षिण अफ्रीकी खौफजदा गेंदबाजी के सामने थर-थर कांप रहे हैं। दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाजों के डर का आलम यह है कि फटाफट क्रिकेट के दो मुकाबलों में रोहित शर्मा 37, शिखर धवन 12, विराट कोहली 31, सुरेश रैना 50, रविन्द्र जड़ेजा 55 और चतुर चालाक महेन्द्र सिंह धोनी 84 रन ही बना सके। इसे दुर्भाग्य कहें या कुछ और दक्षिण अफ्रीकी युवा बल्लेबाज क्विंटन डी कॉक की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी पर हमारे गेंदबाज अंकुश नहीं लगा सके हैं। डी कॉक ने जोहांसबर्ग में 135, डरबन में 106 और सेंचुरियन में 101 रन की शतकीय पारियां खेलकर भारतीय गेंदबाजों को उनकी औकात बता दी। विकेटकीपर बल्लेबाज डी कॉक सीरीज में लगातार तीन शतक और 342 रन बनाकर जहां जहीर अब्बास, सईद अनवर, हर्शल गिब्स और अब्राहम डीविलियर्स की जमात में खड़ा हो गया वहीं टीम इण्डिया के सभी बल्लेबाज फटाफट क्रिकेट के दो मुकाबलों में कुल जमा 363 रन ही बना सके। कुछ दिन पहले की ही बात है जब यही टीम इण्डिया अपनी पट्टियों पर हर मुकाबले में तीन सौ से अधिक रन बना रही थी लेकिन दक्षिण अफ्रीका में वह अकेले डी कॉक से हार गई। शांत चेहरा, सौम्य स्वभाव और तेजतर्रार बल्लेबाजी करने वाले डी कॉक ने न केवल दक्षिण अफ्रीका को फटाफट सीरीज जिता दी बल्कि हर किसी का दिल भी जीत लिया। सीरीज के तीन मैचों में 114 की औसत से 342 रन बनाने वाले क्विंटन डी कॉक ने सीरीज में 36 चौके और पांच छक्के उड़ाये। इस दौरान उसका स्ट्राइक रेट 95.26 रहा। जाहिर तौर पर नम्बर वन टीम के खिलाफ फटाफट सीरीज में इस प्रकार का प्रहार दक्षिण अफ्रीकी चयनकर्ताओं को इतना बताने के लिए काफी है कि डी कॉक लम्बी रेस का घोड़ा है और धोनी सेना को यह संदेश देने के लिए कि अब आंखें खोलने का समय है, क्योंकि गद्दी रुतबे की नहीं, प्रदर्शन की मोहताज होती है जोकि टीम इण्डिया फटाफट क्रिकेट में नहीं कर सकी। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में भी भारत की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है। इन दोनों देशों के बीच अब तक खेले गये 42 टेस्टों में भारत को नौ में जीत तो 19 में पराजय से दो-चार होना पड़ा है। 14 टेस्ट बराबरी पर छूटे हैं। दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर तो भारतीय रिकॉर्ड और भी खराब है। यहां खेले गये 15 टेस्टों में भारत सिर्फ दो टेस्ट जीता है जबकि उसे सात में पराजय स्वीकारनी पड़ी है।
उम्मीद है कि मरती नहीं। हर बार की तरह इस बार भी प्रत्येक हिन्दुस्तानी को यकीन था कि धोनी ब्रिगेड दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर अपने फौलादी प्रदर्शन से 22 साल में पहली बार फटाफट क्रिकेट सीरीज जीतने की अपनी हसरत जरूर पूरी करेगी पर अफसोस उसके धाकड़ बल्लेबाज स्टेन एण्ड कम्पनी की आग उगलती गेंदबाजी के सामने असहाय नजर आये तो हमारे गेंदबाज दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों क्विंटन डी कॉक और हाशिम अमला के हमलावर अंदाज पर जरा भी नकेल नहीं डाल सके। विश्व चैम्पियन और दुनिया की नम्बर एक भारतीय टीम की फटाफट क्रिकेट में शिकस्त ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। टीम इण्डिया की अब तक की दुर्गति को देखते हुए नहीं लगता कि दक्षिण अफ्रीकी टेस्ट क्रिकेट में कुछ रहम दिखाएंगे। दक्षिण अफ्रीका में धोनी ब्रिगेड का दौरा जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, जख्म गहराते ही जा रहे हैं। दक्षिण अफ्रीकी तेज और उछाल भरी पट्टियों पर भारतीय मजबूत बल्लेबाजी की जिस तरह कलई खुली उसकी खूब जगहंसाई हो रही है। तीन मैचों की सीरीज केवांडरर्स पर खेले गये पहले मुकाबले में जहां भारत को 141 रन की करारी शिकस्त मिली वहीं किंग्समीड में उसके जांबाज 136 रन से पस्त हो गये। भला हो बारिश का जिसने सेंचुरियन में भारत को एक और पराजय से बचा लिया। कमजोर गेंदबाजी पर सवालों के साथ शुरू हुए दक्षिण अफ्रीकी दौरे के अधसफर के बाद अब हमारे दबंग बल्लेबाजों पर उंगलियां उठने लगी हैं। अब तक शिखर धवन ने जहां कोई धमाल नहीं मचाया तो विराट कोहली ने भी कोई विराट पारी नहीं खेली है। रोहित शर्मा, सुरेश रैना और युवराज सिंह भी अभी तक अपने बल्लों से इंसाफ नहीं कर पाये हैं। अब तक के भारत के दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर नजर डालें तो पहले मुकाबले में हमारे गेंदबाजों के खराब प्रदर्शन का बल्लेबाजों पर दबाव बना लेकिन दूसरे मुकाबले में अपेक्षाकृत धीमी पट्टी पर भारतीय पट्ठे डेल स्टेन के सामने पनाह मांग बैठे और उसके पांच ओवर पूरा होने से पहले ही मैच का नतीजा दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ हो गया। देखा जाए तो दक्षिण अफ्रीकी दौरे से पूर्व टीम इण्डिया के शीर्ष बल्लेबाज पूरे रौ में थे। शिखर धवन, विराट कोहली और रोहित शर्मा ने अपनी पट्टियों पर न केवल खूब चौके-छक्के उड़ाये बल्कि मौजूदा साल में एक हजार रनों का आंकड़ा भी पार कर दिखाया। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दक्षिण अफ्रीकी तेज आक्रमण के सामने हमारे त्रिदेवों को ही नहीं मध्यक्रम के बल्लेबाजों को भी वहां की पट्टियां रास नहीं आर्इं। तेज उछाल वाली पट्टियां भारतीय बल्लेबाजों के लिए हमेशा से ही दु:स्वप्न रही हैं, यही वजह है कि हमारे बल्लेबाजों को हमेशा घरेलू शेर माना गया। टीम इण्डिया जब-जब आस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड या दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर जाती है, उसके डरपोक बल्लेबाज एक-एक रन को तरसते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में अब तक भारत के पक्ष में शर्मनाक पराजयों के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं लगा है। क्विंटन डी कॉक, हाशिम अमला और कप्तान अब्राहम डीविलियर्स ने जहां अपनी धाकड़ बल्लेबाजी से टीम इण्डिया की गेंदबाजी को भोथरा साबित कर दिखाया वहीं 20 साल के नवोदित बल्लेबाज डी कॉक ने लगातार तीन सैकड़े जमाकर 18 दिसम्बर से होनी वाली टेस्ट सीरीज से पहले भारतीय खेमे में खतरे की घण्टी बजा दी है। डी कॉक जहां सैकड़े पर सैकड़े उड़ा रहा है वहीं हमारे कागजी फौलादी बल्लेबाज दक्षिण अफ्रीकी खौफजदा गेंदबाजी के सामने थर-थर कांप रहे हैं। दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाजों के डर का आलम यह है कि फटाफट क्रिकेट के दो मुकाबलों में रोहित शर्मा 37, शिखर धवन 12, विराट कोहली 31, सुरेश रैना 50, रविन्द्र जड़ेजा 55 और चतुर चालाक महेन्द्र सिंह धोनी 84 रन ही बना सके। इसे दुर्भाग्य कहें या कुछ और दक्षिण अफ्रीकी युवा बल्लेबाज क्विंटन डी कॉक की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी पर हमारे गेंदबाज अंकुश नहीं लगा सके हैं। डी कॉक ने जोहांसबर्ग में 135, डरबन में 106 और सेंचुरियन में 101 रन की शतकीय पारियां खेलकर भारतीय गेंदबाजों को उनकी औकात बता दी। विकेटकीपर बल्लेबाज डी कॉक सीरीज में लगातार तीन शतक और 342 रन बनाकर जहां जहीर अब्बास, सईद अनवर, हर्शल गिब्स और अब्राहम डीविलियर्स की जमात में खड़ा हो गया वहीं टीम इण्डिया के सभी बल्लेबाज फटाफट क्रिकेट के दो मुकाबलों में कुल जमा 363 रन ही बना सके। कुछ दिन पहले की ही बात है जब यही टीम इण्डिया अपनी पट्टियों पर हर मुकाबले में तीन सौ से अधिक रन बना रही थी लेकिन दक्षिण अफ्रीका में वह अकेले डी कॉक से हार गई। शांत चेहरा, सौम्य स्वभाव और तेजतर्रार बल्लेबाजी करने वाले डी कॉक ने न केवल दक्षिण अफ्रीका को फटाफट सीरीज जिता दी बल्कि हर किसी का दिल भी जीत लिया। सीरीज के तीन मैचों में 114 की औसत से 342 रन बनाने वाले क्विंटन डी कॉक ने सीरीज में 36 चौके और पांच छक्के उड़ाये। इस दौरान उसका स्ट्राइक रेट 95.26 रहा। जाहिर तौर पर नम्बर वन टीम के खिलाफ फटाफट सीरीज में इस प्रकार का प्रहार दक्षिण अफ्रीकी चयनकर्ताओं को इतना बताने के लिए काफी है कि डी कॉक लम्बी रेस का घोड़ा है और धोनी सेना को यह संदेश देने के लिए कि अब आंखें खोलने का समय है, क्योंकि गद्दी रुतबे की नहीं, प्रदर्शन की मोहताज होती है जोकि टीम इण्डिया फटाफट क्रिकेट में नहीं कर सकी। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में भी भारत की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है। इन दोनों देशों के बीच अब तक खेले गये 42 टेस्टों में भारत को नौ में जीत तो 19 में पराजय से दो-चार होना पड़ा है। 14 टेस्ट बराबरी पर छूटे हैं। दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर तो भारतीय रिकॉर्ड और भी खराब है। यहां खेले गये 15 टेस्टों में भारत सिर्फ दो टेस्ट जीता है जबकि उसे सात में पराजय स्वीकारनी पड़ी है।
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