Tuesday 17 December 2013

सिंधू के लिये यादगार रहा साल, खिताब के अकाल से जूझती रही साइना

नयी दिल्ली। साइना नेहवाल इस साल एक भी खिताब नहीं जीत सकी लेकिन नये सितारे के रूप में पीवी सिंधू के उभरने और इंडियन बैडमिंटन लीग की शुरूआत के साथ भारतीय बैडमिंटन ने प्रगति की।
पिछले साल लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर स्टार बनी साइना इस साल फिटनेस समस्याओं और खराब फार्म से जूझती रही। वह इंडोनेशिया, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड और थाईलैंड में अपना खिताब बरकरार नहीं रख सकी। इस साल उसकी झोली में एक भी खिताब नहीं आया और वह बीडब्ल्यूएफ रैंकिंग में भी छठे स्थान पर खिसक गई। वह इन टूर्नामेंटों के फाइनल्स में भी नहीं पहुंच सकी। इस साल उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन मलेशिया सुपर सीरिज और आल इंग्लैंड सुपर सीरिज प्रीमियर में रहा जहां वह सेमीफाइनल तक पहुंची।  इस बीच सिंधू ने चीन के ग्वांग्झू में विश्व चैम्पियनशिप में एकल वर्ग में पदक जीता और वह इस श्रेय हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला हो गई। इसके अलावा उसने दो ग्रांप्री गोल्ड खिताब जीते। अठारह बरस की सिंधू ने अप्रैल में मलेशिया ग्रांप्री गोल्ड और दिसंबर में मकाउ ग्रांप्री गोल्ड जीता।  पुरुष खिलाड़ियों में पी. कश्यप विश्व रैंकिंग में शीर्ष दस में जगह बनाने वाले पुलेला गोपीचंद के बाद दूसरे खिलाड़ी हो गए।  वह जनवरी में दुनिया के नौवें नंबर के खिलाड़ी बने और छठी रैंकिंग तक पहुंचे हालांकि बाद में शीर्ष 10 से बाहर हो गए। उदीयमान खिलाड़ी के. श्रीकांत ने थाईलैंड ओपन ग्रांप्री गोल्ड जीता जबकि उनके भाई नंदगोपाल ने मालदीव अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन चैलेंज में के. मनीषा के साथ मिश्रित युगल खिताब अपने नाम किया। अगस्त में इंडियन बैडमिंटन लीग की शुरूआत हुई जिसमें श्रीकांत, एचएस प्रणय और अजय जयराम जैसे युवा भारतीयों ने तियेन मिन्ह एंगुयेन और जान ओ जोर्गेसेन जैसे शीर्ष खिलाड़ियों को हराया। आईबीए में साइना बेहतरीन फार्म में थी और उसके अपराजेय अभियान से हैदराबाद हाटशाट्स ने लखनऊ की अवध वारियर्स को हराकर खिताब जीता। इस साल आईबीएल के दौरान कई विवाद भी सामने आये। भारतीय खिलाड़ियों ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की बेसप्राइज नीलामी के दिन घटा दी गई। इसके अलावा दिल्ली स्मैशर्स ने हांगकांग के चोटिल हू युन की जगह आखिरी मिनट में डेनमार्क के जान जोर्गेसेन को शामिल किये जाने के खिलज्ञफ बंगा बीट्स के खिलाफ मैच से पीछे हटने की धमकी दे दी थी। भारतीय बैडमिंटन संघ की अनुशासन समिति ने दिल्ली स्मैशर्स टीम के खिलाड़ियों को मैच नहीं खेलने के लिये उकसाने की कोशिश के कारण ज्वाला पर आजीवन प्रतिबंध की सिफारिश की। बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामला सुलझाया।

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