Saturday 30 May 2015

सैप ब्लाटर यानि फुटबाल का हिटलर

गुरबत से निकला न डिगने वाला पुरोधा
भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे फुटबाल में वही होता है जो सैप ब्लाटर चाहते हैं। वह सही मायनों में इस खेल के हिटलर हैं। सैप ने किन्तु-परंतु की सभी सम्भावनाओं को सिरे से खारिज करते शुक्रवार को एक बार फिर फीफा की सर्वोच्च आसंदी पर कब्जा जमा लिया। सैप पांचवीं बार उस फीफा के अध्यक्ष बने जिस पर इन दिनों ढेर सारी तोहमतें लगी हुई हैं। विवाद, तीखे विरोध और अमेरिका द्वारा उनकी विजयश्री को रोकने की हर मशक्कत के बावजूद सैप ने अध्यक्ष का चुनाव जीतकर दिखा दिया कि फुटबाल की दुनिया में वे अजेय हैं। आमने-सामने की इस लड़ाई के बावजूद अमेरिका ब्लाटर के विजय रथ को रोक नहीं पाया। यहां तक की उनके प्रतिद्वंद्वी प्रिंस अली बिन अल हुसैन भी बीच में ही पाला छोड़ भागे।
भ्रष्टाचार के आरोप में फीफा के अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद प्रमुख सैप ब्लाटर पर चुनाव नहीं लड़ने का दबाव बनाया गया था लेकिन वे अपने निर्णय पर न केवल अडिग रहे बल्कि पांचवीं बार अध्यक्षी सम्हाल ली। चुनाव जीतने के बाद सैप ने कहा कि अमेरिका की न्यायपालिका ने जिस तरह फुटबाल की वैश्विक संस्था को निशाना बनाया उससे वह स्तब्ध हैं। उन्होंने न केवल अमेरिका की बल्कि यूरोपीय फुटबाल अधिकारियों के नफरत अभियान की भी जमकर आलोचना की। ब्लाटर ने कहा कि अमेरिका 2022 विश्व कप की मेजबानी दौड़ में कतर से हार गया था जबकि एक अन्य धुर आलोचक इंग्लैंड 2018 विश्व की मेजबानी की दौड़ में रूस से पिछड़ गया था। ब्लाटर ने साथ ही कहा कि अमेरिका जोर्डन का नम्बर एक प्रायोजक है जहां से फीफा अध्यक्ष पद के उनके प्रतिद्वंद्वी प्रिंस अली ताल्लुक रखते हैं।
फीफा अध्यक्ष सैप ने यूएफा अध्यक्ष माइकल प्लातीनी पर भी निशाना साधा जिन्होंने भ्रष्टाचार प्रकरण में उनके इस्तीफे की मांग की थी। ब्लाटर ने कहा, यह नफरत यूएफा में एक व्यक्ति से नहीं आती, एक यूएफा संगठन से आती है जो यह नहीं समझ पा रहा है कि मैं 1998 में अध्यक्ष बन गया था। यह पूछने पर कि क्या वह प्लातीनी को माफ कर देंगे, ब्लाटर ने कहा, मैं सभी को माफ कर दूंगा लेकिन मैं भूलूंगा नहीं। इससे पहले ब्लाटर ने फीफा अधिकारियों पर हुई कार्रवाई के संदर्भ में कांग्रेस में कहा था कि सात लोगों की गिरफ्तारी ने तूफान ला दिया है और अब कांग्रेस को अहम फैसले करने होंगे। उन्होंने कहा, मैं टीमभावना, एकजुटता की अपील करता हूं जिससे कि हम एक साथ आगे बढ़ सकें। ब्लाटर ने अपना बचाव करते हुए कहा कि वह अकेले पूरे फुटबाल की निगरानी नहीं कर सकते और घोटालों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने क्षेत्रीय महासंघों और राष्ट्रीय संघों से बड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा, दोषी वे अधिकारी हैं, पूरा संगठन नहीं। चुनाव जीतने के बाद ब्लाटर ने खुशी में अपने दोनों हाथ हवा में उठाए और फीफा कांग्रेस को वादा किया कि वह ऐसे कमांडर साबित होंगे जो फीफा की इस नाव का मार्गदर्शन करते हुए उसे भ्रष्टाचार के भंवर से निकालेंगे जिसमें संस्था फंस गई है।
79 बरस के ब्लाटर ने साथ ही संकेत दिये कि वह एक बार फिर अध्यक्ष पद के लिए चुनौती पेश नहीं करेंगे और चार साल में मजबूत फीफा को अपने उत्तराधिकारी को सौंपेंगे। ब्लाटर पहले दौर में दो तिहाई बहुमत हासिल करने से सात वोट से पीछे रह गए। उन्हें पहले दौर में 133 जबकि प्रिंस अली को 73 वोट मिले। यूरोप के 53 में से अधिकांश वोट प्रिंस अली के पक्ष में गए जबकि उन्हें अमेरिका और आस्ट्रेलिया का समर्थन भी मिला। लेकिन ब्लाटर ने अफ्रीका और एशिया में मजबूत समर्थन हासिल करते हुए एक और कार्यकाल के लिए अध्यक्ष पद अपने नाम किया।
सैप ब्लाटर अपने शुरुआती जीवन में वेडिंग सिंगर थे यानी शादी समारोह में गाने वाले शख्स। बाद में वे खेल विषयों पर लिखने लगे। बाद में उन्होंने एक संस्था के लिए पीआर वर्क भी किया। सैप ब्लाटर 40 साल से फुटबॉल से जुडेÞ हुए हैं। उन्होंने विश्व फुटबॉल में तेजी से अपनी जगह बनायी। 1998 से वे लगातार फीफा के अध्यक्ष पद पर काबिज हैं। तमाम विरोध के बावजूद वे अपने पद से अब तक नहीं डिगे हैं। ब्लाटर का जन्म स्विटजरलैंड के पिछड़े इलाके विस्प में हुआ था। उनके शुरुआती दिन बहुत आसान नहीं थे। अपने युवावस्था के दिनों में वे फल व सब्जी उपजाने का काम करते थे, जिसे बाजार में बेचकर वे परिवार में कुछ हद तक आर्थिक योगदान करते थे।
ब्लाटर एक स्वीस कम्पनी में स्पोर्ट टाइमिंग डिवाइस व घड़ी बनाने वाली कम्पनी में डिपार्टमेंटल डायरेक्टर के रूप में आरंभ में काम करते थे। यहां उन्हें 1972 व 1976 में ओलम्पिक गेम के लिए टाइमिंग फेसिलिटी डेवलप करने का मौका मिला। यहीं से उनका फीफा से सम्पर्क हुआ। इसके बाद वे 39 साल की उम्र में 1975 में टेक्निकल डायरेक्टर के रूप में जुडेÞ। फिर 1981 में महासचिव बन गये। महासचिव के पद पर भी वे तब तक कायम रहे, जब तक अध्यक्ष नहीं बन गये। 1998 में वे अध्यक्ष बने। सैप ब्लाटर ने अब तक तीन शादियां की हैं। फिलहाल उनके रिश्ते उनकी गर्लफ्रेंड लिंडे बरास से हैं। उन्होंने पहली शादी लिलेन बिनर नाम की एक स्थानीय महिला से की थी। इस शादी से उन्हें एक बेटी हुई। बाद में तलाक हो गया। उन्होंने दूसरी शादी बारबरा केसर से की, जो उनसे उम्र में 30 साल छोटी थीं। बारबरा केसर फीफा के पूर्व महासचिव हेलमुट केसर की बेटी थीं। इन दोनों की शादी से हेलमुट केसर नाराज थे और वे शादी में शामिल भी नहीं हुए थे। यह शादी दस साल चली पर, इसके बाद ब्लाटर के रिश्ते ललोना बोगुस्का से बने, जो उनकी बेटी की दोस्त थी। यह सम्बन्ध सात साल चला। उसके बाद उन्होंने डॉलफिन थेरेपिस्ट ग्रेजिला बिएनका से शादी की और वे उनकी तीसरी बीवी बनीं। सैप को फीफा अध्यक्ष के रूप में सलाना 1.7 मिलियन पाउंड सेलरी मिलती है। साथ ही वे छह अंकों में ल्वॉयल्टी बोनस भी पाते हैं। सैप अपने बयानों व विवादित बयानों दोनों को लेकर चर्चा में रहते हैं। एक बार उन्होंने खुद को पहाड़ी बकरी बताया था, जो हमेशा पहाड़ पर चढ़ता रहता है, चढ़ता रहता है, चढ़ता रहता है, कभी नहीं रुकता। उनके अनुसार, वे भी उसी तरह हमेशा चल रहे हैं।
 ब्लाटर एक होनहार फुटबॉल खिलाड़ी भी थे। वे आज जिस तरह विश्व फुटबॉल के बादशाह माने जाते हैं, उसी तरह युवावस्था में मैदान में भी वे एक खिलाड़ी के रूप में फुटबॉल के राजा माने जाते थे। उन्हें स्विस टीम से आॅफर भी मिला था, पर उनके पिताजी इसके समर्थन में नहीं थे और उन्होंने इसके लिए पैसे खर्च करने से भी इनकार कर दिया था। इस तरह एक सम्भावनाशील फुटबॉलर के कैरियर पर ब्रेक लग गया। सैप ब्लाटर के पिता चाहते थे कि उनके बच्चे एकेडमिक रूप से आगे बढ़ें। अच्छे यूनिवर्सिटी में ऊंची शिक्षा पायें। ब्लैटर ने पिता की इस इच्छा को पूरा किया, हालांकि विश्वविद्यालय में भी उन्होंने फुटबॉल खेली। उन्होंने लाउसेनी विश्वविद्यालय से बिजनेस में ग्रेजुएशन किया। ब्लैटर एक प्रतिभाशाली छात्र थे और कम से कम चार भाषाओं को विश्वविद्यालय के समय से ही जानते हैं। उन्होंने स्विस मिलिट्री में भी नौकरी की है।

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