Friday 15 December 2017

नादिया एक्सप्रेस झूलन का कमाल

महिला क्रिकेट की कपिल देव
भारत में क्रिकेट को धर्म और क्रिकेटर को भगवान का दर्जा प्राप्त है लेकिन सिक्के के दूसरे पहलू यानि महिला क्रिकेट की बात करें तो वह अभी भी संघर्ष कर रही है। ऐसा भी नहीं कि भारतीय क्रिकेटर बेटियां किसी से कम हैं। शांता रंगास्वामी, डायना एडुलजी, संध्या अग्रवाल आदि ने विश्व क्रिकेट में अपने सदाबहार खेल से देश का नाम रोशन किया लेकिन इन्हें बहुत ही कम लोग जानते हैं। आज मिताली राज और झूलन गोस्वामी विश्व क्रिकेट में भारत की पहचान हैं। तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी को यदि हम महिला क्रिकेट का कपिल देव कहें तो अतिश्योक्ति न होगी। झूलन ने 15 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया। झूलन गोस्वामी को नादिया एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें प्यार से लोग कोजी भी कहते हैं। झूलन के माता-पिता तो चाहते थे कि उनकी बेटी पढ़ाई में दिलचस्पी ले लेकिन झूलन में क्रिकेटर बनने का ही जुनून सवार था। झूलन गोस्वामी शानदार हरफनमौला खिलाड़ी ही नहीं एक नेकदिल इंसान भी हैं। झूलन को चाइनीज फूड, फिल्मों में थ्री इडियट्स, अभिनेताओं में आमिर खान तो खिलाड़ियों में फुटबॉलर डिएगो माराडोना बेहद पसंद हैं। तेज गेंदबाज के तौर पर झूलन आज महिला क्रिकेट में इतना बड़ा नाम बन चुकी हैं कि पाकिस्‍तान की कायनात इम्तियाज ने उन्‍हें अपना आदर्श मानते हुए क्रिकेट को अपना करियर बनाया है।
झूलन गोस्वामी 25 नवम्बर, 1982 को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के एक छोटे से गांव में पैदा हुईं। वह एक फुटबॉल प्रशंसक के रूप में बड़ी हो रही थीं कि संयोग से 1997 का महिला विश्व कप फाइनल झूलन के होम ग्राउंड ईडन गार्डन कोलकाता में खेला गया। यह मुकाबला ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच था। यहां झूलन ने बॉल-पिकर के रूप में काम किया। इस मैच में बेलिंडा क्लार्क, डेबी हॉकी और कैथरीन फिट्जपैट्रिक जैसी बड़ी खिलाड़ियों को देखकर उन्होंने तय किया कि वह भी क्रिकेट को ही अपना करियर बनाएंगी। पांच फुट 11 इंच लम्बी झूलन की मां का नाम झरना तथा पिता का नाम निशित गोस्वामी है। झूलन के तेज गेंदबाजी शुरू करने की कहानी कम दिलचस्‍प नहीं है। बचपन में वे पड़ोस के लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थीं। उस समय बेहद धीमी गेंदबाजी करने के कारण झूलन का मजाक उड़ाया जाता था। इससे उन्हें तेज गेंदबाज बनने की प्रेरणा मिली। उन्‍होंने तेज गेंदबाजी में हाथ आजमाया और जल्‍द ही अपनी गेंदों की गति से लड़कों को भी चौंकने पर मजबूर करने लगीं। युवा झूलन ने हर मुश्किल का सामना करते हुए क्रिकेट को चुना। वह ऐसे परिवार से आईं जहां यह मान्यता थी कि क्रिकेट लड़कियों के लिए एक अच्छा प्रोफेशन नहीं है। झूलन ने अपने जुनून और शानदार परफॉरमेंस इस बात को मिथ्या साबित कर दिखाया। झूलन सही मायने में युवा खिलाड़ियों की प्रेरणा हैं।
झूलन की कद-काठी तेज गेंदबाजी के लिहाज से आदर्श है। वनडे में सबसे अधिक विकेट (196) लेने वाली गेंदबाज झूलन गति के बावजूद गेंदों की लाइन-लेंथ पर नियंत्रण रखती हैं। उनकी छवि बेहद सटीक तेज गेंदबाज की है। क्रिकेट के लिए झूलन गोस्वामी सुबह 4.30 बजे उठकर नादिया से दक्षिण कोलकाता के विवेकानंद पार्क तक लोकल ट्रेन से जाया करती थीं। जहां कोच उन्हें क्रिकेट की ट्रेनिंग दिया करते थे। एक दिन क्रिकेट खेलकर रात को देर से घर पहुंचने पर उनकी मां ने उन्हें कई घंटे घर के बाहर खड़े रखा। अपनी शानदार गेंदबाजी से वह कई बार भारत को अप्रत्याशित जीत दिला चुकी हैं। झूलन के खेल की जहां तक बात है 2006 में इंग्लैंड दौरे पर महिला टीम को पहली जीत दिलाने में झूलन का अहम योगदान रहा। इंग्लैंड में महिला टीम पहली बार टेस्ट मैच जीती थी। उस टेस्ट में झूलन ने दोनों पारियों में पांच-पांच विकेट लेकर एक अप्रत्याशित जीत भारत की झोली में डाली थी। कैथरीन फिट्जपैट्रिक के बाद झूलन दुनिया की सबसे तेज गेंदबाज बनीं। 5 फीट 11 इंच की झूलन लगातार 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गेंदें फेंकने की कूबत रखती हैं।
झूलन ने जितने भी विकेट लिए हैं उनमें सबसे ज्यादा विकेट इंग्लैंड के खिलाफ हैं। इंग्लैंड के खिलाफ खेले 44 एकदिवसीय मैचों में झूलन ने 63 विकेट लिए हैं। इंग्लैंड के खिलाफ ही 16 रन पर 5 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। सटीक गेंदबाजी के साथ-साथ झूलन एक बेहतरीन फील्डर भी हैं। वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 72 कैच ले चुकी हैं। तेज गेंदबाज झूलन गोस्‍वामी को इस बात का अफसोस है कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम विश्व कप के फाइनल में पहुंचने के बावजूद खिताब नहीं जीत सकी। झूलन कहती हैं कि जब तक हमारी टीम कोई बड़ी प्रतियोगिता नहीं जीत लेती तब तक उन्हें इंग्लैण्ड से फाइनल में मिली नौ रन की हार परेशान करती रहेगी। झूलन का ध्‍यान अब महिला टी-20 वर्ल्‍डकप में टीम और अपने अच्‍छे प्रदर्शन पर टिका हुआ है।
झूलन ने क्रिकेटप्रेमियों से अनुरोध किया कि क्रिकेट के खेल को महिला और पुरुष के टैग में नहीं बांधा जाए और जो भी अच्छा प्रदर्शन करे, उसकी सराहना की जाए। पुराने दिनों को याद करते हुए झूलन ने बताया कि शुरुआत में लोग उन जैसी महिला क्रिकेटरों से कहते थे क्‍यों खेल में समय बर्बाद करती हो। झूलन कहती हैं कि मैं शुक्रगुजार हूं भारतीय पुरुष क्रिकेटरों की जिन्होंने मुझ महिला क्रिकेटरों को प्रोत्साहित किया। झूलन कहती हैं कि राहुल द्रविड़, जहीर खान, इरफान पठान और मोहम्मद शमी जैसे क्रिकेटरों ने हमारे प्रदर्शन की जमकर सराहना की और हमेशा हमारा हौसला बढ़ाया। भारतीय तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी एकदिवसीय महिला क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज हैं। नादिया एक्सप्रेस ने कैथरीन फिट्जपैट्रिक के 180 विकेटों के आंकड़े को पार कर यह कीर्तिमान अपने नाम किया है। झूलन गोस्वामी को 2007 में आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया, इसके बाद उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी भी सौंपी गई। भारत सरकार द्वारा झूलन को 2010 में अर्जुन पुरस्कार तो 2012 में पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।
भारत और पाकिस्‍तान के बीच खेल सम्बन्धों की बात आती है तो आमतौर पर पुरुष क्रिकेटर ही इसमें बाजी मारते नजर आते हैं। दोनों देशों की टीमों के बीच मैदान के बाहर का दोस्‍ताना व्‍यवहार मीडिया की सुर्खियां बनता रहा है। महिला वर्ल्‍डकप क्रिकेट 2017 में पाकिस्‍तान की भारतीय टीम के हाथों करारी हार के बाद पड़ोसी देश की तेज गेंदबाज कायनात इम्तियाज ने एक दिल को छूने वाला पोस्‍ट किया था। कायनात ने भारत की महिला तेज गेंदबाज झूलन गोस्‍वामी के साथ अपना फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए बताया कि झूलन की गेंदबाजी ने किस तरह उन्‍हें तेज गेंदबाजी में हाथ आजमाने के लिए प्रेरित किया। कायनात कहती हैं कि वर्ष 2005 में पाकिस्‍तान में आयोजित हुए एशिया कप के दौरान मैंने पहली बार भारतीय महिला टीम को देखा था। टूर्नामेंट के दौरान मैं बाल-पिकर थी। इसी दौरान मैंने झूलन गोस्‍वामी को देखा। वह उस समय सबसे तेज गेंदबाजी करने वाली महिला खिलाड़ी थीं। झूलन से प्रेरित होकर ही मैंने करियर के लिहाज से क्रिकेट खासकर तेज गेंदबाजी को चुना। मेरे लिए यह गौरव का विषय है कि 12 साल बाद मैं 2017 में महिला वर्ल्‍डकप में खेली जहां मेरी आदर्श झूलन गोस्वामी भी खेल रही थीं।


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