संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति
सचिन गुप्ता ने लिया संकल्प
एक साल में आयुर्वेद हास्पिटल और
दो खेल एकेडमियां खुलेंगी
श्रीप्रकाश शुक्ला
मथुरा। शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में भारत की
गिनती दुनिया के पिछड़े देशों में होती है। हमारे संविधान में मुफ्त और अनिवार्य
शिक्षा का वादा करने के साथ ही इसे दस साल में पूरा करने का लक्ष्य भी तय किया गया
था लेकिन यह पूरा नहीं हो सका। धनाभाव के चलते राष्ट्रीय स्तर पर किसी ठोस योजना
की शुरुआत नहीं हो सकी। राज्यों के स्तर पर भी अलग-अलग प्रयास किए गए लेकिन वे भी
फलीभूत नहीं हुए। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुकूमतों की उदासीनता को
देखते हुए इस दिशा में दिल्ली के एक युवा मन में कुछ लीक से हटकर करने का जुनून सवार
हुआ है। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति सचिन गुप्ता ने भगवान श्रीकृष्ण की नगरी
मथुरा को शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल और हेल्थ टूरिज्म के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाने
का संकल्प लिया है, वह लगातार इस दिशा में ठोस प्रयास भी कर रहे हैं। उम्मीद है कि
वर्ष 2018 तक मथुरा जनपद में आयुर्वेद हास्पिटल, ब्लड बैंक, कैंसर टेस्ट लैब के
साथ ही कुछ खेल एकेडमियां मूर्तरूप ले लेंगी।
देखा जाए तो संकल्प हर कोई लेता है लेकिन उसे अमलीजामा
पहनाना बड़ी बात होती है। 29 दिसम्बर, 1977 को श्री रामकैलाश गुप्ता-श्रीमती कुसुम
गुप्ता के घर जन्मा शिशु आज देश का दूसरा युवा कुलपति है। एक शिक्षक परिवार में
जन्मे कुलपति सचिन गुप्ता के मन में शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल की दिशा में बहुत
कुछ करने का जुनून सवार है। अपने बड़े भाई राजेश गुप्ता के सहयोग से दो साल पहले 30
सितम्बर को मथुरा में खुले संस्कृति विश्वविद्यालय को लेकर कुलपति सचिन गुप्ता का
कहना है कि वह चाहते हैं कि यह एक आदर्श शिक्षण संस्थान बने और यहां पढ़कर निकले
छात्र-छात्राएं शिक्षा के क्षेत्र में देश के सामने नजीर स्थापित करें। इस युवा मन
में मथुरा को और भी बहुत कुछ देने का विचार है। सादा जीवन और उच्च विचार रखने वाले
कुलपति गुप्ता चाहते हैं कि मथुरावासियों को भारतीय चिकित्सा पद्धति से स्वस्थ
रखने के साथ ही यहां के युवाओं को खेलों की दिशा में आगे बढ़ने का मौका मिले।
कुलपति गुप्ता संस्कृति विश्वविद्यालय में मास कम्युनिकेशन
पाठ्यक्रम को शामिल करने के साथ ही उसके सामने आयुर्वेद हास्पिटल, कैंसर टेस्ट लैब
और ब्लड बैंक खोलने का इरादा है। श्री गुप्ता मथुरा जनपद में भारतीय चिकित्सा
पद्धति को नया धरातल देने के साथ ही युवाओं को कुश्ती, टेनिस तथा एथलेटिक्स के
क्षेत्र में आगे बढ़ाने की भी पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वह शीघ्र ही कुछ
खेल एकेडमियां खोलेंगे जिनमें देश के जाने-माने प्रशिक्षक प्रतिभाओं को प्रशिक्षण
देकर उन्हें बड़ा खिलाड़ी बनाएंगे। श्री गुप्ता का कहना है कि मथुरा में कैंसर
टेस्ट की कोई सुविधा नहीं होने के साथ ही प्रायः यहां ब्लड के अभाव में लोगों की
जान चली जाती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। हम खुद की ब्लड बैंक के माध्यम से
गरीब-असहाय लोगों को मुफ्त में ब्लड मुहैया कराएंगे। श्री गुप्ता कहते हैं कि
मथुरा धर्मनगरी है। हमारा प्रयास इसे हेल्थ टूरिज्म के रूप में विकसित करने का भी
है। इसके लिए हमारी कई संस्थाओं से बात चल रही है। हम चाहते हैं कि यहां जो भी
श्रद्धालु आएं उन्हें भगवान के दर्शन के साथ ही हेल्थ टूरिज्म का भी लाभ मिले।
प्रतिवर्ष एक करोड़ की मुफ्त शिक्षा देती है संस्कृति
सोसायटी
आज निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा जहां उच्च शिक्षा के नाम
पर अभिभावकों से अनाप-शनाप पैसे वसूले जाते हैं वहीं संस्कृति सोसायटी देश की ऐसी
बिरली संस्था है जोकि प्रतिवर्ष गरीब और निर्धन पालकों के बच्चों को एक करोड़ रुपये
से अधिक की शिक्षा मुफ्त में प्रदान करती है। गरीबों के प्रति संस्था की इस उदारता
की सबदूर चर्चा हो रही है।
आठ सौ दिव्यांगों को मुफ्त तालीम
संस्कृति सोसायटी दिल्ली, हरियाणा और मथुरा में पांच ऐसे
विद्यालयों का संचालन भी कर रही है जहां आठ सौ से अधिक दिव्यांगों को खाने-रहने के
साथ ही मुफ्त में तालीम दी जा रही है। इन दिव्यांगों को न केवल मुफ्त में शिक्षित
किया जा रहा है बल्कि उन्हें रोजगार से भी लगाया जा रहा है। दिल्ली जैसे महानगर
में आज यहां से तालीम हासिल पांच सौ से अधिक दिव्यांग डाक वितरण का कार्य कर एक
नजीर स्थापित कर रहे हैं। मथुरा जनपद के लिए यह खुशी की बात है कि यहां शीघ्र ही
दिव्यांगों के लिए एक औद्योगिक इकाई स्थापित की जाएगी जिसमें सिर्फ दिव्यांग ही रोजगार
हासिल कर अपने सपनों को साकार कर सकेंगे।
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