Thursday, 21 July 2016

ओलम्पिक पदक जीतना हर खिलाड़ी का सपनाः विनेश फोगाट


मुझे रियो में स्वर्ण से कम मंजूर नहीं 
ओलम्पिक खेलना और पदक हासिल करना हर खिलाड़ी का सपना होता है। मेरा भी सपना है कि मैं रियो में स्वर्ण पदक जीतूं। यह कहना है हरियाणा के बलाली गांव की पहलवान विनेश फोगाट का। फोगाट बहनों में दो विनेश और बबिता (चचेरी बहनें) रियो ओलम्पिक में दांव-पेच लगाएंगी। विनेश फोगाट 48 किलोग्राम भारवर्ग में खेलती है। रियो में पदक की सम्भावना पर विनेश कहती हैं कि तैयारियां तो काफी हैं लेकिन जब तक हाथ में पदक नहीं तब तक सब बेकार की बात है। उसका साफ कहना है कि देशवासियों की दुआएं मिलीं तो रियो में स्वर्णिम सफलता पक्की है। विनेश अपनी कामयाबी से इतर अपने प्रशिक्षक कुलदीप मलिक की तारीफ करते नहीं थकती। प्रशिक्षक कुलदीप मलिक भी मानते हैं कि विनेश को हराना किसी पहलवान के लिए आसान नहीं होगा।
                      रियो जाने से पहले विनेश से हुई खास बात 
विनेश रियो में पदक की कितनी उम्मीद है?
-मुझे उम्मीद है तभी ओलम्पिक जा रही हूं। एक खिलाड़ी का हमेशा सपना होता है कि वह न केवल ओलम्पिक खेले बल्कि पदक भी जीते। रियो में मैं उसी सपने को पूरा करने का प्रयास करूंगी।
कुलदीप जी (प्रशिक्षक) विनेश कितना तैयार है?
-देखिए विनेश एक ऐसी लड़की है जो कुश्ती में कहीं नहीं मार खाती। विनेश से मुझे ही नहीं पूरे देश को उम्मीद है।
विनेश क्या आप अपने मूव्स में कोई बदलाव कर रही हैं?
अब इतना वक्त नहीं है कि मैं कुछ ज्यादा चेंज करूं। ये रिस्क हो जाएगा। बस स्पीड पर ज्यादा काम कर रही हूं, क्योंकि 48 किलोग्राम भारवर्ग में स्पीड का अहम रोल होता है।
कुलदीप जी, कुश्ती सिर्फ शरीर का ही नहीं दिमाग का भी खेल है। विनेश की स्पीड पर मूव्स कैसे काम कर रहे हैं?
स्पीड पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। पैरों पर काफी काम कर रहे हैं क्योंकि कुश्ती में पैरों पर ही सारे मूव्स निर्भर करते हैं।
विनेश किन-किन देशों की ऐसी पहलवान हैं,जिनके मूव्स अच्छे होते हैं ?
मेरी मानें तो जापान के पहलवानों के मूव्स काफी फास्ट हैं। इसी वजह से मैं अपनी स्पीड बढ़ा रही हूं ताकी बाउट टफ हो और मैं अपनी स्पीड और दांव से विरोधी को मात दे सकूं।
विनेश स्पीड इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
देखिए स्पीड से हम चकमा दे सकते हैं, अपोनेंट की पलक झपकी और हम एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंच जाएं। स्पीड से आपका विरोधी आपके मूव्स को समझ नहीं पाता। इससे प्वॉइंट्स लेने में आसानी होती है।
कुलदीप जी डिफेंस को आप बेहतर तकनीक मानते हैं अटैक को?
ये निर्भर करता है कि आपके सामने रेसलर कौन है, किस देश का है,उसका तरीका क्या है।
विनेश आपके दिमाग में बाउट के दौरान क्या चलता है?
मेरे दिमाग में बस ये चलता है कि ज्यादा से ज्यादा प्वॉइंट्स लेना है और किसी भी सूरत में मैच जीतना है।
विनेश क्या जब कोच बाउट के दौरान चिल्लाकर कुछ बताते हैं तो उस पर ध्यान होता है?
बिल्कुल होता है। क्योंकि कोच विरोधी खिलाड़ियों के मूव्स को देखते हैं और वो बताते हैं कि अब अटैक करना है चूंकि विरोधी हिन्दी नहीं समझते तो हमें आसानी हो जाती है, अटैक करने में। दरअसल बाउट के दौरान ध्यान कुश्ती पर और कान कोच पर होता है।
विनेश आखिरी पलों में जब किसी मैच का फैसला होता है, उस समय खुद पर संयम कैसे रखती हैं ?
दिमाग में बस यही ख्याल आता है कि मैं इससे हार ही नहीं सकती। यही ख्याल मुझे अटैक करने के लिए फोर्स करता है।
कोच साहब कंसनट्रेशन कितना जरूरी है ?
बहुत जरूरी,एक कोच को अपने पहलवानों की मानसिकता समझना होता है। जब पहलवान बाउट के लिए जा रहा होता है तो हमें समझना होता है कि पहलवान को क्या बोलना है, हम ये सोचते हैं कि अगर विनेश कुश्ती लड़ने जा रही है, मतलब मैं लड़ रहा हूं।
विनेश क्या बाउट के दौरान अपने अप्रोच को बदलने में दिक्कत आती है?
नहीं, इसमें कोई दिक्कत नहीं होती। इसका काफी अभ्यास करते हैं और अगर इसमें दिक्कत आई तो हम मुकाबला नहीं जीत पाएंगे।
 विदेशी दौरे पर हिन्दुस्तानी पहलवानों को किस नजर से देखा जाता है?
अभी हाल की एक घटना बताता हूं ओलम्पिक क्वालीफाई की। सेमीफाइनल की बाउट थी तुर्की के पहलवान के साथ और हम बुल्गारिया में अभ्यास कर रहे थे तो उनको पता था कि विनेश अच्छा बाउट करती है, उनकी भाषा मिलती है तो तुर्की के कोच बोल रहे थे कि इंडिया की लड़की है आसानी से जीत जाएंगे तो बुल्गारिया कोच ने बोला कि ये इंडिया की है लेकिन बेहतरीन पहलवान है लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया। हालांकि मैच में विनेश ने आसानी से जीत हासिल की। उसके बाद तुर्की के कोच आए और कहा कि ‘ये है तो इंडिया की लड़की लेकिन भयंकर है’।
विनेश जब जीतती हैं तिरंगा लहराती हैं तो कैसा महसूस करती हैं?
उस समय बॉडी में एक हलचल सी होती है, पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ता है। कभी लगता है कि रो दूं लेकिन खुद को रोकती हूं और हां तिरंगे को जब ऊपर जाते देखती हूं फक्र होता है।
कोच साहब कभी-कभी हमने आपको उछलता हुआ देखा है।
(विनेश खुद आगे आईं और जवाब देने लगी) जब हमारा क्वालीफाई राउंड था तो सर ने काफी शॉपिंग किया था कि जीत के बाद नए कपड़े पहनूंगा,लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था तो सर काफी उदास हो गए थे,फिर हमने सर से वादा किया था कि हम जरूर क्वालीफाई करेंगे,फिर हमने क्वालीफाई किया तो सर काफी उछल रहे थे और फिर वो कपड़े सर ने पहने थे।
बाउट से पहले विनेश क्या करती हो?
शांत रहती हूं, भजन सुनती हूं भगवान को याद करती हूं।
कुलदीप जी बाउट से पहले आप क्या करते हैं ?
(जवाब विनेश देने लगी) सर बोलते हैं कि सारा हिन्दुस्तान देख रहा है। हमेशा बताते रहते हैं कि इसका ध्यान रखना है। (फिर कुलदीप ने कहा) दिमागी रूप से मजबूत करता हूं बस।
विनेश कोई ऐसी घटना जब कोच साहब ने बहुत डांटा हो।
काफी हंसने के बाद हां कभी-कभी जब हम उठते नहीं हैं, थके होते हैं तो सर काफी डांटते हैं।
विनेश क्या बाउट से पहले कभी महावीर फोगाट से बात होती है?
मुझे काफी डर लगता है। मेरी कभी बात नहीं हुई, आज भी मैं डरती हूं। बस मेरा सपना है कि ओलम्पिक का मेडल लाकर उनको दूं, ये उनकी इच्छा है। ताऊ जी ने कभी ऐसा नहीं कहा कि तुमने अच्छा किया बस वह यह बोलते हैं कि ओलम्पिक का पदक लाओ। मैं उनकी यह चाहत पूरी करना चाहती हूं।
तीन महिला पहलवानों का चयन हुआ है आप लोग एक-दूसरे को कितना सपोर्ट करती हैं ?
जैसे हम अभी बुल्गारिया में प्रैक्टिस कर रहे थे, तो हम लगातार बताते रहते हैं एक दूसरे को। खुद की बाउट को भूलकर हम एक-दूसरे को चियर करते हैं।
अपोनेंट को लेकर रणनीति बनाती हैं?
बिल्कुल, जो पावर से खेलते हैं हमारी कोशिश होती है कि उनको स्पीड से मात दूं और जिनकी ताकत स्पीड है उनको पावर से चौंका देते हैं।
विनेश देशवासियों से कुछ कहना चाहती हैं आप।
बस यही कि दुआ कीजिए हमारे लिए हमने काफी मेहनत की है, दुआ में भगवान बसता है और अगर दुआ मिली तो हम आठ पहलवान (महिला-पुरुष मिलाकर) जा रहे हैं आठों गोल्ड ला सकते हैं।
कोच साहब आप कुछ कहना चाहते हैं।
यही आशीर्वाद दीजिए, बच्चे अच्छा करें।

No comments:

Post a Comment