Tuesday, 27 May 2014

राज्यवर्धन सिंह होंगे देश के अगले खेल मंत्री!

अटल की सरकार में उमा भारती रह चुकी हैं खेल मंत्री, कीर्ति आजाद भी हैं दावेदार
आगरा। खण्डित जनादेश पर फतह हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र की सोलहवीं पारी नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में खेलने जा रही है। जनापेक्षा है कि मोदी न केवल तंगहाल महंगाई और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाएंगे बल्कि अपने मंत्रिमण्डल में तेली का काम तमोली से नहीं कराएंगे। मोदी विजन का श्रीगणेश होने से पूर्व जहां मंत्रिमण्डल में शामिल होने को लेकर लॉबिंग शुरू हो गई है वहीं खिलाड़ियों और खेलप्रेमियों के बीच मुल्क के भावी खेल मंत्री को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं। राजनीतिज्ञों को खेल मंत्रालय कभी रास नहीं आया, इसे देखते हुए खिलाड़ियों और खेलप्रेमियों को भरोसा है कि टीम मोदी का खेल मंत्री कोई और नहीं बल्कि ओलम्पिक पदकधारी राज्यवर्धन सिंह राठौर होंगे।
भारतीय लोकतंत्र के चुनावी महासंग्राम में अब तक दर्जनों खिलाड़ी जीते हैं लेकिन आज तक कोई खिलाड़ी खेल मंत्री नहीं बना है। संसद और सरकार में खिलाड़ियों को खास तवज्जो न मिलने के कारण ही मुल्क में खेल संस्कृति विकसित नहीं हो सकी। दुनिया के छोटे-छोटे देश जहां खेलों में विजय नाद कर रहे हैं वहीं बड़े खेल मंचों पर भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन हमेशा थू-थू करने वाला रहा है। मौजूदा साल में कई बड़े खेल आयोजन होने हैं। हॉकी और फुटबाल विश्व कप के बाद इस साल भारत को राष्ट्रमण्डल और एशियाई खेलों में अपने पराक्रम की बानगी पेश करनी है। इन खेलों में भारतीय खिलाड़ी अपना पिछला प्रदर्शन दोहरा पाएंगे इसमें संदेह है। भारतीय खेल प्राधिकरण पहले ही कह चुका है कि इस बार आर्थिक तंगहाली के चलते खिलाड़ियों को वे सुविधाएं मयस्सर नहीं हुर्इं जो होनी थीं। खैर, मोदी के राज में खिलाड़ी जरूर खिलखिलाएंगे ऐसा हर खेलप्रेमी मान रहा है।
देश की सोलहवीं संसद में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से दो खिलाड़ी  शूटर राज्यवर्धन सिंह राठौर और क्रिकेटर कीर्ति आजाद पहुंचे हैं। राज्यवर्धन सिंह राठौर ने जयपुर ग्रामीण सीट फतह की है। उन्होंने कांग्रेस के केन्द्रीय मंत्री सीपी जोशी को तीन लाख से अधिक मतों से पराजित किया है। कीर्ति आजाद भी वरिष्ठता के लिहाज से खेल मंत्री पद के दावेदार हैं। पूर्व केन्द्रीय खेल मंत्री उमा भारती के साथ ही अटल बिहारी बाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा भी संसद पहुंचे हैं। अनूप मिश्रा मध्यप्रदेश के खेल मंत्री रह चुके हैं। नरेन्द्र मोदी बेशक खिलाड़ी न हों पर वे आज भी गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। ऐसे में लोगों को यकीन है कि वे खेल मंत्रालय किसी खिलाड़ी को ही देंगे। चूंकि खेल मंत्रालय को लेकर कभी किसी सरकार में कोई नूरा-कुश्ती नहीं हुई लिहाजा खेल मंत्री के रूप में निर्विवाद राज्यवर्धन सिंह राठौर से बेहतर कोई और नहीं हो सकता। अटल राज की तरह इस बार उमा भारती खेल मंत्री नहीं बनना चाहेंगी ऐसे में मोदी को नजीर पेश करते हुए किसी अनाड़ी की जगह खिलाड़ी को ही खेल मंत्री बनाना खेलहित में होगा।
पायका का बिगड़ेगा जायका
कांग्रेस के 10 साल के शासन में खेल नजरिये से देखें तो पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान (पायका) में अरबों रुपये पानी की तरह बहाया गया। पायलट प्रोजेक्ट के तहत 2009 से शुरू हुई यह योजना थी तो बेहतर पर सतत मानीटरिंग के अभाव में बागड़ ही खेत चर गये। इस योजना के तहत 2017 तक देश की सभी पंचायतों और चार हजार से अधिक आबादी वाले सभी गांवों में खेल मैदान और खेल सामग्री मुहैया हो जानी थी लेकिन यह योजना जमीनी स्तर पर मूर्तरूप लेने की जगह कागजों में ही दफन हो रही है ऐसे में भाजपा शासन में पायका पर ग्रहण लग सकता है।

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