Friday 25 April 2014

हॉकी का दर्पण: नौ साल में निकलीं 35 बेमिसाल प्रतिभाएं

राष्ट्रीय क्षितिज पर नई पहचान ग्वालियर का दर्पण मिनी स्टेडियम
रंग लाती गुरु अविनाश भटनागर की मेहनत
आगरा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुश्तैनी खेल हॉकी के उत्थान का एक संकल्प लिया था। उन्होंने कहा था कि जब तक देश की हॉकी अपने स्वर्णिम अतीत को हासिल नहीं कर लेती वे इस खेल की मदद करते रहेंगे। इसी गरज से प्रदेश भर में हॉकी के फीडर सेण्टर खोले गये थे। खेल विभाग की शिथिलता के चलते यह महत्वाकांक्षी योजना बेशक परवान नहीं चढ़ी हो पर ग्वालियर के एनआईएस हॉकी प्रशिक्षक अविनाश भटनागर ने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और कर्मठता के बूते वह कर दिखाया जोकि देश और प्रदेश के बड़े-बड़े सूरमाभोपाली भी नहीं कर सके।
 ग्वालियर का दर्पण मिनी स्टेडियम बेशक आज शाहाबाद मारकंडा (हरियाणा) से थोड़ा पीछे हो पर मामूली सुविधाओं के बीच दो बालिका खिलाड़ियों (नेहा सिंह और करिश्मा यादव) का भारतीय टीम के दरवाजे तक दस्तक देना और 33 बालक-बालिकाओं का मध्यप्रदेश की दोनों हॉकी एकेडमियों सहित भारतीय खेल प्राधिकरण और विभिन्न छात्रावासों में प्रवेश किसी अजूबे से कम नहीं है। हाल ही ग्वालियर के दर्पण मिनी स्टेडियम की चार बालिका प्रतिभाओं (रितु तिर्की, नेहा सेन, विद्या लोधे और संजना प्रजापति) का चयन भारतीय खेल प्राधिकरण के धार सेण्टर में हुआ है। दर्पण से पिछले साल छह प्रतिभाएं साइ सेण्टर के लिए चयनित हुई थीं। मध्य प्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग में बतौर संविदा खेल प्रशिक्षक सेवाएं दे रहे अविनाश भटनागर ने पिछले नौ साल में देश की हॉकी के लिए जो किया है उससे उन लोगों को नसीहत लेनी चाहिए जोकि मध्यप्रदेश के पैसे पर आरामतलबी कर रहे हैं।
कहते हैं मेहनत कभी अकारथ नहीं जाती। यही सिद्ध किया है हॉकी प्रशिक्षक अविनाश भटनागर ने। मध्य प्रदेश के अव्वल फीडर सेण्टरों में शुमार ग्वालियर के दर्पण मिनी स्टेडियम को सुविधाओं की दरकार है पर अफसोस हॉकी की इस प्राथमिक शाला की तरफ खेल विभाग का ध्यान ही नहीं है। उम्मीद है कि ग्वालियर की खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की नजर एक दिन इस दर्पण पर जरूर पड़ेगी और इसका कायाकल्प हो जाएगा। खेल मंत्री सिंधिया की नजर पड़नी भी चाहिए क्योंकि यहां आयातित खिलाड़ी नहीं बल्कि उनके ही शहर की प्रतिभाएं निखर रही हैं। खेलप्रेमी प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को इस फीडर सेण्टर की तरफ ध्यान देने की दरकार है। यदि श्री चौहान वाकई हॉकी का उत्थान चाहते हैं तो फिर उन्हें कुछ नहीं तो खिलाड़ियों को साजो-सामान के साथ चना-चिरौंजी तो देना ही चाहिए वरना लोग कहेंगे कि घर के देव भूखे बाहर के पूजा मांगें।
   

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