Saturday 29 March 2014

सियासत के मैदान में खिलाड़ियों की ताल

खेल के मैदान में अपने पौरुष का कमाल दिखाने वाले खिलाड़ियों के लिए सियासत का मैदान कभी भी मुफीद नहीं रहा बावजूद समय-समय पर खिलाड़ियों ने विभिन्न राजनीतिक दलों से चुनावी मैदान में ताल जरूर ठोकी है। असलम शेरखान, कीर्ति आजाद, नवजोत सिंह सिद्धू और मोहम्मद अजहरुद्दीन जैसे नामचीन खिलाड़ी जीत वरण कर संसद तो पहुंचे पर इससे मुल्क के खिलाड़ियों का तनिक भी भला नहीं हुआ। सच तो यह है कि राजनीतिक दलों ने खिलाड़ियों की भलाई के लिए नहीं बल्कि अपनी सियासत को मुकम्मल करने की खातिर ही इन्हें मैदान में उतारा। बीते साल सचिन तेंदुलकर को भी कांग्रेस ने राज्यसभा की चौखट तक पहुंचाया था। कांग्रेस की मंशा तो सचिन को वाराणसी में नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारने की भी थी लेकिन वह तैयार नहीं हुए। कांग्रेस ने सचिन तो क्या हरभजन सिंह और युवराज को भी सियासत के मैदान में उतारने की पुरजोर कोशिश की लेकिन इन्होंने भी साफ मना कर दिया। जो भी हो लोकतंत्र के सोलहवें महाकुम्भ में फुटबालर बाईचुंग भूटिया, ओलम्पिक पदक विजेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़, क्रिकेटर मोहम्मद कैफ तथा भारतीय हाकी की दीवार कहे जाने वाले पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की जैसे नामचीन खिलाड़ी विभिन्न राजनीतिक दलों से अपनी राजनीतिक पारी के आगाज को तैयार हैं। अटकलें तो हाकी के सचिन कहे जाने वाले धनराज पिल्लै के भी चुनावी समर में कूदने की सरगर्म हैं। धनराज पिल्लै आम आदमी पार्टी में शामिल हो चुके हैं। अब तक सियासत के मैदान में उतरने वाले खिलाड़ियों में क्रिकेटरों की संख्या ही अधिक रही है।
मौजूदा लोकसभा चुनाव में भारत के पूर्व कप्तान और देश के सबसे अनुभवी फुटबालर बाइचुंग भूटिया दार्जिलिंग लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री समेत कई पुरस्कार और सम्मान हासिल कर चुके भूटिया ने अगस्त 2011 में अंतरराष्ट्रीय फुटबाल को अलविदा कह दिया था। अपने चुस्त क्षेत्ररक्षण के लिये मशहूर पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ उत्तरप्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। कैफ ने भारत के लिये 13 टेस्ट और 125 वनडे खेले हैं। आखिरी बार वे भारतीय टीम से 2006 में खेले थे लेकिन उत्तर प्रदेश के लिये घरेलू सर्किट पर आज भी खेलते हैं। 33 साल के कैफ को राजनीतिक अनुभव नहीं है लेकिन कांग्रेस को कम उम्र में उन्हें मिली उपलब्धियों पर भरोसा है। भारत की अण्डर 19 टीम के सदस्य के रूप में उन्होंने सबसे पहले सुर्खियां बटोरीं। उनकी कप्तानी में टीम ने 2000 में युवा विश्व कप जीता था।
कैफ के अलावा भारत के पूर्व कप्तान और सांसद मोहम्मद अजहरुद्दीन राजस्थान के टोंक सवाई माधोपुर से चुनावी मैदान में हैं। अजहर ने 99 टेस्ट और 334 वनडे खेले हैं। अजहर मुरादाबाद से कांग्रेस के सांसद हैं लेकिन इस बार उनकी सीट से टिकट बेगम नूर बानो को दिया गया है। अजहर का 15 साल का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर 2000 में मैच फिक्सिंग के आरोपों के बाद खत्म हो गया लेकिन बाद में उन्होंने राजनीति में पदार्पण किया और खुद पर लगे आजीवन प्रतिबंध के खिलाफ अदालत में अपील की।  2012 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने अजहर पर लगा प्रतिबंध हटा दिया।
भाजपा ने राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को जयपुर (ग्रामीण) से उतारा है। एथेंस ओलम्पिक 2004 में पुरुषों की डबल ट्रैप निशानेबाजी में रजत जीतने वाले राठौड़ 1900 के पेरिस ओलम्पिक के बाद भारत के लिये व्यक्तिगत स्पर्धा का रजत पदक जीतने वाले पहले खिलाड़ी थे। वह राजस्थान के जैसलमेर से ताल्लुक रखते हैं। पूर्व हाकी कप्तान और राज्यसभा सदस्य दिलीप टिर्की ओड़िशा के सुंदरगढ़ से बीजेडी के उम्मीदवार हैं। उनका सामना पूर्व केन्द्रीय मंत्री भाजपा के जुआल ओरम और पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के हेमानंदा बिस्वाल से है। कुरुक्षेत्र फतह करने उतरे कांग्रेस के नवीन जिंदल भी स्कीट निशानेबाजी में राष्ट्रीय रिकार्डधारी हैं।
ओड़िशा में मोदी लहर नहीं नवीन लहर: दिलीप टिर्की
अपने बेहतरीन डिफेंस के कारण भारतीय हाकी की दीवार कहे जाने वाले पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की को यकीन है कि ओड़िशा में हाकी की नर्सरी सुंदरगढ़ के लिये किया गया उनका काम लोकसभा चुनाव में जुआल ओरम और पूर्व मुख्यमंत्री हेमानंदा बिस्वाल जैसे दिग्गजों के खिलाफ राजनीति के मैदान का डिफेंस साबित होगा। टिर्की का कहना है कि ओड़िशा में मोदी लहर नहीं बल्कि नवीन लहर है। सुंदरगढ़ में अपने काम और हाकी की लोकप्रियता के दम पर जीत का यकीन रखने वाले टिर्की का मानना है कि यह मुकाबला काफी कठिन है। बकौल टिर्की मैं इन अनुभवी नेताओं के सामने नया हूं लेकिन मैंने अपने पूरे कैरियर में चुनौतियों का डटकर सामना किया है। सुंदरगढ़ हाकी की नर्सरी कहा जाता है और पिछले दो साल में मंैने अधिकांश समय यहीं बिताया है। हाकी के मिस्टर कूल कहे जाने वाले टिर्की ने कहा कि सक्रिय राजनीति में आने का फैसला उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिये लिया है।
इन्होंने भी खेली सियासती पारी
असलम शेरखान
हाकी के इस पुरोधा ने खेल से संन्यास के बाद सियासत में कदम रखा। कांग्रेस की नीति-रीति से प्रभावित असलम मध्यप्रदेश की राजनीति में हमेशा सक्रिय रहे और यहीं से वे संसद तक भी पहुंचे। असलम शेरखान  सियासत में रहते हुए खिलाड़ियों की भलाई के लिए कुछ खास नहीं कर सके।
कीर्ति आजाद को केसरिया भाया
सियासत की पारी खेलने वाले कीर्ति आजाद बिहार के एकमात्र क्रिकेटर हैं जिन्हें टीम इण्डिया के लिए खेलने का मौका मिला। उन्होंने भारत के लिए सात टेस्ट और 25 वनडे मैच खेले। साथ ही वह 1983 की विश्व विजेता टीम के सदस्य भी रहे। वह क्रिकेट से संन्यासी बनने के बाद सियासत के मैदान में आये। कीर्ति आजाद बिहार के मुख्यमंत्री भगवत झा आजाद के बेटे हैं और दरभंगा से भाजपा के सांसद चुने गये।
बेबाक नवजोत सिंह सिद्धू
बेबाक नवजोत सिंह सिद्धू भारत के बेजोड़ उद्घाटक बल्लेबाज रहे। आक्रामक सिद्धू ने मुल्क की तरफ से 51 टेस्ट और 136 एकदिनी मुकाबले खेले। जनवरी, 1999 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने राजनीति में अपने कदम रखे और भाजपा के टिकट पर पंजाब की अमृतसर संसदीय सीट से दो बार संसद पहुंचे। इस बार उनकी इस सीट से उनके ही राजनीतिक गुरु अरुण जेटली ताल ठोंक रहे हैं।
मुरादाबाद के मुरीद बने अजहर
भारत के सफल कप्तानों में शुमार मोहम्मद अजहरुद्दीन का विवादों से चोली दामन का साथ रहा। कभी वह संगीता बिजलानी व शटलर ज्वाला गुट्टा के प्रेम प्रसंग को लेकर विवादों में रहे तो वर्ष 2000 में उन पर मैच फिक्सिंग का आरोप भी लगा। भारत के लिए 99 टेस्ट खेलने वाले इस स्टायलिस बल्लेबाज ने सियासत के लिए कांग्रेस का हाथ थामा और अपनी जन्मभूमि हैदराबाद से इतर उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद सीट के मुरीद बने।
राठौर संसद पहुंचने को बेकरार
डबल ट्रैप निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौर भारत के ऐसे पहले निशानेबाज हैं जिन्होंने देश को ओलम्पिक में सफलता दिलाई। एथेंस ओलम्पिक 2004 में राठौर ने डबल ट्रैप में रजत पदक जीता था। निशानेबाजी के बाद अब वह राजनीति में भी अचूक निशाना लगाने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ समय पहले वह जयपुर में भारतीय जनता पार्टी के नेता नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली। भाजपा ने राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को जयपुर (ग्रामीण) से चुनावी मैदान में उतारा है।
भूटिया ममता की ममता से अभिभूत
बाइचुंग भूटिया भारतीय फुटबाल के बेहद लोकप्रिय खिलाड़ी रहे हैं। वह भारत की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के लम्बे समय तक कप्तान रहे। भूटिया को क्रिकेट से इतर अन्य खेलों की सबसे बड़ी हस्ती माना जाता है। फुटबॉल से संन्यास के बाद भूटिया बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ममता से अभिभूत हैं। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र से सियासती मैदान में उतारा है। मजे की बात तो यह है कि भूटिया और मुक्केबाज मैरीकाम सोलहवें लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के दिग्गज अजय माकन के लिए भी प्रचार करते दिखेंगे। इन दोनों खिलाड़ियों का तर्क है कि अजय माकन ने खिलाड़ियों की बेहतरी के जितने काम किए उतने आजाद भारत में कोई राजनीतिज्ञ नहीं कर सका।
धनराज आप के साथ
धनराज पिल्लै ने दो दशक तक भारतीय हाकी में अपना जौहर दिखाया और मुल्क की झोली में कई शानदार सफलताएं भी डालीं। वे भारतीय हाकी के लगातार गिरते प्रदर्शन से आहत हैं। राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित धनराज पिल्लै अभी चुनाव लड़ेंगे या नहीं तय नहीं हो सका है। सम्भावना है कि अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी उन्हें महाराष्ट्र के किसी लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे सकती है।
विनोद काम्बली और कृष्णा पूनिया ने भी भाग्य आजमाया
 इन खिलाड़ियों के अलावा सियासत के मैदान में सचिन के बालसखा विनोद काम्बली और एथलीट कृष्णा पूनिया भी भाग्य आजम चुके हैं। काम्बली ने मुंबई के विखरोली से लोक भारती पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था तो कृष्णा पूनिया 2013 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं लेकिन जीत इनसे दूर रही।

No comments:

Post a Comment