Wednesday, 29 January 2014

पुलेला का दिल पीवी सिन्धू के साथ

इच्छा बेटी गायत्री और बेटा साई विष्णु खेलें बैडमिंटन
ग्वालियर। वैसे तो गुरु के लिए हर शिष्य प्यारा होता है, बावजूद इसके कुछ ऐसे शिष्य भी होते हैं जिनका गुरु भी मुरीद होता है। भारतीय बैडमिंटन के आईकॉन पुलेला गोपीचन्द को साइना नेहवाल की शानदार उपलब्धियों के बावजूद पीवी सिन्धू में गजब का लैटेण्ट दिखता है। पुलेला का मानना है कि उम्र के 18 बसंत पार कर चुकी पीवी सिन्धू दो साल बाद साइना तो क्या, दुनिया की किसी भी खिलाड़ी को सहजता से परास्त करेगी।
पुष्प सवेरा से खास बातचीत में राजीव गांधी खेलरत्न सम्मान से विभूषित पुलेला का कहना था कि उनकी इच्छा है कि जिस तरह उन्होंने अपना सब-कुछ बैडमिंटन को समर्पित कर दिया कुछ इसी तरह उनकी बेटी गायत्री (10) और बेटा सार्इं विष्णु (9) भी इस खेल को न केवल आत्मसात करें बल्कि दुनिया में भारत का नाम रोशन करें। खेल से संन्यास लेने के बाद गोपीचंद ने हैदराबाद में गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी बनाई जहां उन्होंने साइना नेहवाल, पीवी सिंधू, आरएमवी गुरुसाईदत्त और के. श्रीकांत जैसे भारत के मौजूदा शीर्ष खिलाड़ी तैयार किए। पुलेला मध्यप्रदेश बैडमिंटन अकादमी के मुख्य प्रशिक्षक और सलाहकार भी हैं। उनके अथक प्रयासों से मध्य प्रदेश के शटलर भी कम समय में ही मुल्क में नाम रोशन करने लगे हैं। देश की सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन शख्सियतों में से एक गोपीचंद को इस साल पद्म भूषण सम्मान के लिए चुना गया है। इस सम्मान पर पुलेला ने कहा कि वैसे तो हर सम्मान महत्वपूर्ण होता है पर पद्म भूषण उनके लिए खास है।
25 जनवरी, 2014 को लखनऊ के बनारसी दास इण्डोर बैडमिंटन कोर्ट पर खेली गई सैयद मोदी ग्रांप्री गोल्ड बैडमिंटन चैम्पियनशिप में चीनी खिलाड़ियों का मानमर्दन कर खिताबी दौर में पहुंची साइना नेहवाल और पीवी सिन्धू में श्रेष्ठ कौन, के सवाल पर पुलेला ने हंसते हुए कहा कि उनके लिए दोनों खिलाड़ी खास हैं। ऐसे अवसरों पर बतौर प्रशिक्षक उन पर कोई दबाव नहीं होता, आखिर मेरे दोनों हाथों में लड्डू (स्वर्ण और रजत पदक) जो होते हैं। पुलेला ने कहा कि सिन्धू अभी 18 साल की है। जिस तरह वह खेल के प्रति समर्पित है, वह दिन दूर नहीं जब उसके सामने दुनिया की कोई भी शटलर सहज जीत दर्ज नहीं कर सकेगी।
वह अपने शिष्यों को कौन सा गुरुमंत्र देते हैं? इस सवाल के जवाब में पुलेला ने कहा कि वह नहीं चाहते कि कोई खिलाड़ी सफलता के लिए शॉर्टकट रास्ता अपनाए। जो खिलाड़ी मैदान में ईमानदारी से अपना शत-प्रतिशत खेल कौशल दिखाएगा, सफलता उसके कदम अवश्य चूमेगी। पुलेला ने कहा कि मेरा जोर फिटनेस पर अधिक होता है, सफलता के लिए यह जरूरी भी है। खिलाड़ी फिट ही नहीं होगा तो भला हिट कैसे हो सकता है। पारिवारिक पृष्ठभूमि पर पुलेला का कहना है कि उनकी पत्नी भारत पेट्रोलियम में जॉब करती हैं और बेटी गायत्री और बेटा सार्इं विष्णु शटल-कॉक में हाथ दिखाने लगे हैं। पुलेला ने कहा कि खेल को लेकर मेरा बच्चों पर कोई दबाव नहीं है, पर मैं दिल से चाहता हूं कि गायत्री और विष्णु बैडमिंटन ही खेलें।
पुलेला गोपीचंद की उपलब्धियां
16 नवम्बर, 1963 को आंध्र प्रदेश के नागांदल प्रकासम में जन्मे इस महान शटलर को खिलाड़ी और कोच के रूप में शानदार करियर के लिए 1999 में अर्जुन पुरस्कार, 2001 में खेलरत्न, 2005 में पद्म श्री, 2009 में द्रोणाचार्य और 2014 में पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। गोपीचंद प्रकाश पादुकोण के बाद आॅल इंग्लैण्ड बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीतने वाले भारत के दूसरे खिलाड़ी हैं। उन्होंने यह उपलब्धि 2001 में हासिल की थी। 

No comments:

Post a Comment