Tuesday, 8 August 2017

ज्योतिर्मयी ने ट्रैक पर जलाई अपने पराक्रम की ज्योति


खेलरत्न सिकदर ने राजनीति में भी फहराया परचम
श्रीप्रकाश शुक्ला
मध्यम दूरी की धाविका ज्योतिर्मयी सिकदर उड़न परी पी.टी. ऊषा के बाद दूसरी भारतीय गोल्डन गर्ल के नाम से जानी गईं। इस धावक ने ट्रैक पर अपने पराक्रम की ऐसी ज्योति जलाई कि समूचा भारत वाह-वाह कर उठा। पूर्वी रेलवे में कार्यरत ज्योतिर्मयी सिकदर ने 1988 में अंतर विश्वविद्यालय स्तर से 1500 मीटर दौड़ में अपने पराक्रम का जलवा दिखाना शुरू किया था। उसके बाद उन्होंने इस दौड़ में दर्जनों पदक जीते। 1994 में इस धावक ने न केवल दो राष्ट्रीय कीर्तिमान अपने नाम किए बल्कि दो बार प्रसिद्ध एथलीट शाइनी विल्सन को भी हराया। 1995 की एशियाई ट्रैक एण्ड फील्ड स्पर्धा में 800 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक जीतने के बाद इस गोल्डन गर्ल ने 1998 के बैंकाक एशियाई खेलों में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 800 और 1500 मीटर की दौड़ों में भी स्वर्ण पदक जीत दिखाए। ट्रैक पर शानदार प्रदर्शन के लिए 1995 में ज्योतिर्मयी सिकदर को अर्जुन पुरस्कार तो 1998-99 में राजीव गांधी खेल रत्न और पद्मश्री से नवाजा गया। 2004 में माकपा के टिकट पर बंगाल के कृष्णनगर सीट से सांसद रहीं बनीं लेकिन 2009 में हुए चुनावों में वह अपनी सीट बचाने में नाकाम रहीं। सच कहें तो मैदानों की इस सदाबहार खिलाड़ी को राजनीति रास नहीं आई।
जब 1998 के बैंकाक एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ी देश को निराश कर रहे थे तब ज्योतिर्मयी सिकदर ने भारत की रीती झोली में दो स्वर्ण तथा एक रजत पदक डालकर खेलप्रेमियों को निहाल कर दिया। ज्योतिर्मयी के इस शानदार प्रदर्शन से अन्य भारतीय खिलाड़ियों का उत्साह भी जाग उठा तथा भारतीय खेलप्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई। इन खेलों में उन्होंने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 800 और 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतते हुए चार गुणा चार सौ मीटर रिले दौड़ में भी भारत को चांदी का पदक दिलाया। ज्योतिर्मयी सिकदर जब एशियाई खेलों से स्वर्णिम सफलता हासिल कर लौटीं तो भारत में उनका शानदार स्वागत किया गया। फूलों से लदी खुली जीप में उनको ले जाया गया और उन्हें नई गोल्डन गर्ल का नाम दिया गया। ज्योतिर्मयी को इस विजय के लिए अन्तरराष्ट्रीय कम्पनी सैमसंग द्वारा मोस्ट वैल्यूड परफार्मेंस अवार्ड से सम्मानित करने के साथ ही 13 लाख रुपये की पुरस्कार राशि भी प्रदान की गई।
ज्योतिर्मयी का जन्म पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में हुआ। उन्होंने अपने पिता की मदद से मैदान में दौड़-दौड़ कर स्टेमिना बनाया ताकि वह लम्बी दौड़ लगा सकें। खेलों के साथ ही साथ ज्योतिर्मयी पढ़ाई भी करती रहीं और भौतिक शास्त्र में स्नातक डिग्री हासिल की। शुरुआती दौर में ज्योतिर्मयी ने 400 मीटर दौड़ में भाग लेना आरम्भ किया फिर वह 800 मीटर और 1500 मीटर दौड़ में हिस्सा लेने लगीं। ज्योतिर्मयी ने राष्ट्रीय स्तर पर खेलों की शुरुआत 1992 में आल इंडिया ओपन मीट में 800 मीटर दौड़ में रजत पदक जीतकर की। अगले ही साल उन्होंने इस विधा का स्वर्ण पदक जीता और उन्हें 1993 में ढाका में होने वाले साउथ एशियन फेडरेशन खेलों (सैफ) के लिए भारतीय टीम में शामिल कर लिया गया। सैफ खेलों में ज्योतिर्मयी ने 1500 मीटर दौड़ में रजत पदक प्राप्त किया लेकिन इसी साल सिंगापुर ओपन में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। 1994 में ज्योतिर्मयी सिकदर ने 1500 मीटर का राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ा लेकिन हिरोशिमा में हुए एशियाई खेलों में वह विजय प्राप्त नहीं कर सकीं और चौथे स्थान पर रहीं। ज्योतिर्मयी का विवाह अपने पूर्व कोच अवतार सिंह के साथ हुआ है। ज्योतिर्मयी सिकदर 1998-99 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार पाने वाली पहली महिला एथलीट बनीं।
उपलब्धियां-
1994 में विश्व रेलवे मीट लन्दन में उन्होंने चार  गुणा 400 मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।
1995 की एशियन ट्रैक एण्ड फील्ड मीट (जकार्ता) में 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक तो चार  गुणा 400 मीटर रिले दौड़ में रजत पदक जीता।
1995 में 800 मीटर दौड़ में नया राष्ट्रीय रिकार्ड स्थापित किया।
1996 में उन्होंने चीनी ताइपेई में 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।
दो बार अन्तरराष्ट्रीय आईटीसी मीट में हिस्सा लिया। 1995 में कांस्य तथा 1997 में स्वर्ण व रजत पदक प्राप्त किए।
1997 में फुकुओका (जापान) में एशियन ट्रैक एण्ड फील्ड मीट में 800 मीटर तथा 1500 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीते तथा चार  गुणा 400 मीटर रिले दौड़ में रजत पदक जीता।
ज्योतिर्मयी को 1995 में अर्जुन पुरस्कार मिला।

1998-99  में राजीव गाँधी खेल रत्न पाने वाली प्रथम एथलीट बनीं।

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