बेटी के लिए मां ने छोड़
दी थी नौकरी
श्रीप्रकाश
शुक्ला
महिला क्रिकेट की सचिन कही जाने वाली भारतीय टीम की कप्तान मिताली राज ने सही
मायने में अपनी प्रतिभा और लगन से उन मिथकों को तोड़ा है जिन्हें जिन्हें क्रिकेट
की दुनिया में असम्भव करार दिया जाता था। मिताली एकिदवसीय क्रिकेट इतिहास में 5000 रन पूरे करने वाली भारत की पहली और दुनिया की
दूसरी खिलाड़ी हैं। मिताली ने यह मुकाम न्यूजीलैंड के खिलाफ चौथे एकदिवसीय मैच
में 81 रनों की नाबाद पारी के
दौरान हासिल किया। मिताली ने अब तक 157 मैचों की 144 पारियों में 48.82 की शानदार औसत और पांच शतक और 37 पचासों की मदद
से 5029 रन बनाए हैं। इस लिस्ट
में मिताली से आगे इंग्लैंड की पूर्व खिलाड़ी सीएम एडवर्ड्स हैं जिन्होंने 185 मैचों की 174 पारियों में 38.49 के औसत से नौ शतकों और 45 पचासों के साथ 5812 रन बनाए हैं। उम्मीद है कि मिताली राज इंग्लैण्ड में होने
जा रहे विश्व कप में अपने बल्ले का शानदार आगाज करते हुए कुछ नए कीर्तिमान अपने
नाम करेंगी। मिताली के नाम महिला एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा नाबाद रहने का
रिकॉर्ड भी है। मिताली के बाद इस लिस्ट में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई बेलिंडा क्लार्क
तथा के.एल. रोल्टन हैं जो कि क्रमशः 2005 तथा 2009 में ही रिटायर
हो चुकी हैं। इन दोनों के बाद इस लिस्ट में इंग्लैंड की एस.सी. टेलर तथा
वेस्टइंडीज की डी.ए. हॉकली का शुमार है लेकिन ये भी क्रिकेट से संन्यास ले चुकी
हैं।
मिताली की बादशाहत लम्बी चलने वाली है। मिताली और एडवर्ड्स के बीच लगभग 800 रनों का ही फासला है और हम उम्मीद करते हैं कि
मिताली जल्द ही एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी हो जाएंगी।
मिताली राज का जन्म तीन दिसम्बर, 1982 को जोधपुर (राजस्थान) में हुआ था। उन्होंने भरतनाट्यम नृत्य में भी ट्रेंनिग
प्राप्त की है और अनेक स्टेज कार्यक्रम दिए हैं। क्रिकेट के कारण वह अपनी
भरतनाट्यम् नृत्य कक्षाओं से बहुत समय तक दूर रहती थीं। तब नृत्य अध्यापक ने उसे
क्रिकेट और नृत्य में से एक चुनने की सलाह दी। उनकी माँ लीला राज एक अधिकारी थीं।
उनके पिता धीरज राज डोराई राज बैंक में नौकरी करने के पूर्व एयर फोर्स में थे। वे
स्वयं भी क्रिकेटर रहे हैं। उन्होंने मिताली को प्रोत्साहित करने के लिए हरसम्भव
प्रयत्न किए। उसके यात्रा खर्च उठाने के लिए अपने खर्चों में कटौती की। इसी प्रकार
मिताली की माँ लीला राज को भी अनेक कुर्बानियाँ बेटी के लिए देनी पड़ीं। उन्होंने
बेटी की सहायता हेतु अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि जब खेलों के अभ्यास के पश्चात थकी-हारी
लौटे तो वह अपनी बेटी का ख्याल रख सकें। बचपन में जब उसके भाई को क्रिकेट की
कोचिंग दी जाती थी, तब वह मौका पाने पर गेंद को घुमा देती थी। तब क्रिकेटर ज्योति
प्रसाद ने उसे नोटिस किया और कहा कि वह क्रिकेट की अच्छी खिलाड़ी बनेगी। मिताली के
माता-पिता ने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। राजस्थान में महिला क्रिकेट
की सम्भावनाएं कम थीं सो मिताली ने हैदराबाद की शरण ली। मिताली राज ने एक दिवसीय
अंतरराष्ट्रीय मैच में 1999 में पहली बार
भाग लिया। यह मैच मिल्टन कीनेस आयरलैंड में हुआ था जिसमें मिताली ने नाबाद 114 रन बनाए। उन्होंने 2001-02 में लखनऊ में
इंग्लैंड के विरुद्ध प्रथम टेस्ट मैच खेला। मिताली जब प्रथम बार अंतरराष्ट्रीय
टेस्ट मैच में शामिल हुईं तो बिना कोई रन बनाए आउट हो गईं लेकिन उसके बाद इस
भारतीय बेटी ने अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़कर दिखाया और 2002 में अंतरराष्ट्रीय
महिला क्रिकेट में दोहरा शतक (214) रन बनाकर आस्ट्रेलिया की करेन बोल्टन (209) के रिकार्ड को तोड़ दिया। मिताली के इस रिकार्ड को पाकिस्तान की किरण बलोच ने तोड़ा। किरण बलोच ने
वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट में 242 रन बनाकर मिताली
का रिकॉर्ड तोड़ा था।
चार वर्षों के अंतराल के पश्चात जुलाई 2006 में मिताली राज के नेतृत्व में महिला क्रिकेट टीम ने पुनः
इंग्लैंड का दौरा किया। यह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड तथा वूमेंस क्रिकेट
एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एकीकरण की ओर पहला कदम था। मिताली की अगुआई में भारतीय टीम
ने टांटन में इंग्लैंड को दूसरे टेस्ट में पाँच विकेट से करारी शिकस्त देकर दो
मैचों की सीरीज 1-0 से जीत ली। इस प्रकार मिताली के नेतृत्व में
महिला क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड को उसकी ही जमीन पर मात देकर देशवासियों की भरपूर
प्रशंसा बटोरी। मिताली ने विश्व कप 2005 में भारतीय महिला टीम की कप्तानी की। उन्होंने 2010-11 एवं 2012 में आईसीसी वर्ल्ड रैंकिंग में प्रथम स्थान
प्राप्त किया। क्रिकेट में बेशुमार उपलब्धियों को देखते हुए मिताली राज को 21 सितम्बर, 2004 को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
जानें मिताली राज के बारे में
मिताली राज एक तमिल परिवार की हैं हालांकि उनका जन्म जोधपुर (राजस्थान) में
साल 1982 में हुआ था। उनके पिता
भारतीय वायुसेना के अधिकारी रहे हैं। उन्होंने क्रिकेट की शुरुआती कोचिंग सेट
जॉन्स हाईस्कूल हैदराबाद से हासिल की। मिताली ने 10 साल की उम्र से क्रिकेट को गम्भीरता से लेना शुरू किया और 17 साल की उम्र में वे भारतीय क्रिकेट टीम में
शामिल हो गई थीं। साल 2005 में दक्षिण अफ्रीका
में हुए विश्व कप में मिताली की कप्तानी में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची जहां
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसे पराजय का सामना करना पड़ा था। साल 2006 में मिताली की ही कप्तानी में भारत ने
इंग्लैंड को उसी की जमीन पर टेस्ट सीरीज में मात दी और उसी साल मिताली की कप्तानी
में भारत ने एशिया कप भी जीता।
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