Monday 3 August 2015

भारत में सिर्फ क्रिकेट बिकेगा

भारतीय क्रिकेट में हाल की घटनाओं के बाद ये सवाल खड़ा हो गया था कि क्या देश की क्रिकेट से स्पॉन्सर पहले की तरह जुड़े रहेंगे? इसी बात को ध्यान में रखते हुए बाकी खेलों के आयोजकों को थोड़ी आशा बंधी थी कि स्पॉन्सर शायद टेनिस, गोल्फ जैसे खेलों को ज्यादा तरजीह देंगे। कबड्डी की तरह अक्सर न बिकने वाले कुश्ती जैसे खेल में भी आगामी प्रो रेसलिंग लीग में अच्छे खासे स्पॉन्सर मिलने की उम्मीद जगी थी। लेकिन क्रिकेट ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि भारत में उसकी जड़ें बहुत मजबूत हैं और घोटालों के बावजूद भी उन्हें हिलाना आसान नहीं है।
पेटीएम से 210 करोड़ रुपए का अनुबंध
ई-कॉमर्स कम्पनी पेटीएम ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए मुख्य प्रायोजक के रूप में जुड़कर यह साबित कर दिया है कि भारत में सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट ही बिकेगा। बीसीसीआई ने पेटीएम के साथ 210 करोड़ रुपए का अनुबंध किया है। यह अनुबंध अगले चार साल के लिए है। अनुबंध हासिल करने लिए माइक्रोमैक्स और पेटीएम दोनों ने बोली लगाई थी, लेकिन पूर्व मुख्य प्रायोजक माइक्रोमैक्स ने अपने सारे दस्तावेज जमा नहीं किए थे जिससे ये अनुबंध पेटीएम को मिल गया। नए करार के मुताबिक, हर मैच के लिए बीसीसीआई को 2.42 करोड़ रुपए मिलेंगे जबकि पहले माइक्रोमैक्स के जरिए बीसीसीआई को 2.02 करोड़ रुपए मिलते थे। यानी अब बीसीसीआई को हर मैच 40 लाख रुपए और चार साल में करीब 30 करोड़ रुपए का ज्यादा फायदा होगा। साथ ही बीसीसीआई को लगभग 20 प्रतिशत रकम का फायदा होगा। वर्ष 2019 तक के लिए किए गए अनुबंध के तहत अब घरेलू रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट को भी पेटीएम रणजी ट्रॉफी के नाम से जाना जाएगा।
चीनी कनेक्शन
पेटीएम कम्पनी का रिश्ता चीन की अलीबाबा कम्पनी से है और अलीबाबा ने पेटीएम में पैसा भी लगाया है। यह अलग बात है कि चीन में क्रिकेट का नामो-निशान नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि चूंकि भारत में ई-कॉमर्स में एफडीआई की इजाजत नहीं है, इसलिए अलीबाबा पेटीएम के रास्ते मार्केट-प्लेस मॉडल के जरिये बिजनेस कर रहा है। मार्केट-प्लेस मॉडल के जरिए ही पेटीएम, स्नैपडील और फ्लिपकार्ट जैसी कम्पनियां भारत में विदेशी धन लगा रही हैं।
बीसीसीआई की बल्ले-बल्ले
घरेलू सीरीज के लिए पेटीएम के रूप में नया टाइटल स्पॉन्सर पाकर बीसीसीआई खुश है क्योंकि यह नई पीढ़ी की कम्पनी है। बीसीसीआई के सचिव अनुराग ठाकुर के अनुसार, आने वाले चार वर्ष में यह जुड़ाव भारतीय क्रिकेट को अधिक मजबूती और निरंतरता प्रदान करेगा। हालांकि इस अनुबंध को लेकर प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं। गोवा क्रिकेट के एक अधिकारी के मुताबिक यह अनुबंध बहुत बड़ा नहीं है। उनका कहना है कि छह साल पहले क्रिकेट संघों को बीसीसीआई से 55 करोड़ रुपए सालाना अनुदान मिलता था। लेकिन मुश्किल हालात की वजह से पिछले साल इन संघों को अनुदान के तौर पर 18 करोड़ रुपए ही मिले थे।

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