Tuesday 28 November 2017

क्या विराट के वीर रचेंगे इतिहास

अग्नि-परीक्षा से कम नहीं भारत का दक्षिण अफ्रीका दौरा
श्रीप्रकाश शुक्ला
भारतीय क्रिकेट टीम कितना भी रौ में क्यों न हो, हर विदेशी दौरे के समय उसके मुरीद असमंजस में रहते हैं। देखो ना विराट सेना ने अपनी सरजमीं पर श्रीलंका पर डंका बजाकर कितना जोरदार विजय नाद किया है बावजूद इसके दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर जीत को लेकर कोई आश्वस्त नहीं है। एक साल में सर्वाधिक टेस्ट मैचों में जीत दर्ज करने तथा बड़े लक्ष्यों पर निगाह रखने वाले भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली और उनके वीरों के लिए दक्षिण अफ्रीका दौरा सहज नहीं माना जा रहा। वजह, भारत का आज तक दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज नहीं जीतना है। साल 2018 का आगाज भारतीय टीम को दक्षिण अफ्रीका के साथ ही करना है। कोहली सेना यदि दक्षिण अफ्रीकी टीम को उसी की पट्टियों पर पराजय का पाठ पढ़ाकर लौटी तो इतिहास रचेगा वरना हमेशा की तरह दुनिया हमें घरू शेर ही कहेगी।
तेज उछाल वाली पिचों पर खेलने की जहां तक बात है भारतीय बल्लेबाज हमेशा डरपोक साबित हुए हैं। ग्रीम विकेट पर भारतीय ठोस बल्लेबाजों की कलई कई बार खुलती देखी गई है। कोलकाता में श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट की पहली पारी में हमारे बल्लेबाजों के कायराना रुख ने इस बात के संकेत दिए कि टीम इंडिया के लिए दक्षिण अफ्रीकी दौरा आसान नहीं होगा। बेहतर होता श्रीलंका जैसी कमजोर टीम के सामने हमारी टीम तेज उछाल वाली पिचों पर खेलती, इससे उसे दक्षिण अफ्रीकी विकेटों में आसानी होती। पाटा पिचों पर खेलने की हमारी बुरी आदत के चलते ही विदेशी दौर भारतीय बल्लेबाजों के लिए परेशानी का सबब साबित होते रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीकी उछाल भरी पट्टियों पर भारतीय धुरंधरों की असली परीक्षा पांच जनवरी से केपटाउन में होगी, जहां पहला टेस्ट मैच खेला जाना है। भारत ने अब तक दक्षिण अफ्रीका में छह टेस्ट सीरीज खेली हैं जिनमें से पांच में उसे पराजय मिली जबकि एक बराबरी पर छूटी है। भारत ने दक्षिण अफ्रीका में कुल 17 टेस्ट मैच खेले हैं जिनमें से उसे दो में जीत और आठ में हार मिली है। इन आंकड़ों से साफ हो जाता है कि भारत के लिये दक्षिण अफ्रीका की तेज पिचों पर खेलना कितना मुश्किल रहा है। टेस्ट इतिहास की जहां तक बात है दक्षिण अफ्रीका की ही तरह भारतीय टीम अब तक आस्ट्रेलिया में भी कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीती है। कंगारूओं की सरजमीं पर भारत ने 11 सीरीज खेली हैं जिनमें से नौ में उसे हार मिली और दो बराबरी पर छूटी हैं। भारत ने आस्ट्रेलिया में अब तक 44 टेस्ट मैच खेले हैं जिनमें केवल पांच में ही उसे जीत मिली है जबकि 28 टेस्टों में उसे पराजय से दो-चार होना पड़ा है।
विराट कोहली एक आदर्श कप्तान ही नहीं उम्दा बल्लेबाज भी हैं। टीम इंडिया के पास दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन तो रविन्द्र जड़ेजा के रूप में एक अबूझ गेंदबाज भी है। 31 वर्षीय अश्विन ने श्रीलंका के खिलाफ नागपुर टेस्ट में सबसे तेज 300 टेस्ट विकेट पूरे कर आस्ट्रेलिया के महान तेज गेंदबाज डेनिस लिली का रिकार्ड तोड़ा है। रविचंद्रन अश्विन और रविन्द्र जड़ेजा की जोड़ी में किसी भी जमे-जमाए बल्लेबाज को चलता करने की काबिलियत है लेकिन आराम के नाम पर इन दोनों ही गेंदबाजों को अंदर-बाहर करके हमेशा इनका मनोबल तोड़ा गया है। अश्विन के मामले में अगर हम यह मान भी लें कि वह ज्यादा उम्र के हैं लेकिन रविंद्र जड़ेजा तो कोहली के हमउम्र हैं। दक्षिण अफ्रीका दौरे से पूर्व अश्विन और जड़ेजा जैसे खिलाड़ियों को कम अवसर देना समझे से परे रहा है।
भारतीय टीम की दक्षिण अफ्रीकी दौरे की शुरुआत टेस्ट सीरीज से होगी। तीन टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मैच पांच जनवरी से केपटाउन में खेला जाएगा। दूसरा मैच 13 जनवरी से सेंचूरियन तो तीसरा और आखिरी टेस्ट मैच 24 जनवरी से जोहान्सबर्ग में खेला जाएगा। छह मैचों की एकदिवसीय सीरीज का पहला मैच एक फरवरी को डरबन, दूसरा मैच चार फरवरी को सेंचूरियन, तीसरा मैच सात फरवरी को केपटाउन, चौथा मैच 10 फरवरी को जोहान्सबर्ग, पांचवां मैच 13 फरवरी को पोर्ट एलिजाबेथ और छठा मैच 16 फरवरी को सेंचूरियन में खेला जाएगा। इसके बाद तीन मैचों की टी-20 सीरीज खेली जाएगी। पहला मैच 18 फरवरी को जोहान्सबर्ग, 21 फरवरी को दूसरा मैच सेंचूरियन और तीसरा और दौरे का आखिरी मैच 24 फरवरी को केपटाउन में खेला जाएगा। इस तरह से भारतीय टीम के दौरे की शुरुआत केपटाउन से ही होगी और दौरे का अंत भी केपटाउन में ही होगा।
दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के कुछ प्रयोगों पर गौर करें तो लगता है कि उसमें समझ की काफी कमी है। विराट कोहली को वनडे सीरीज से आराम देना तो ठीक बात रही लेकिन श्रीलंका जैसी कमजोर टीम के खिलाफ टीम मैनेजमेंट को कुछ और प्रयोग करने चाहिए थे। टीम इंडिया ने श्रीलंका को उसकी ही सरजमीं पर तीनों फॉर्मेट में 9-0 से करारी शिकस्त दी थी। इस समय चयन समिति के पास यह मौका था कि वह श्रीलंका के खिलाफ नए चेहरों को मौका देती इससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय मैचों का अनुभव होता। देखा जाए तो भारतीय क्रिकेट में नए खिलाड़ियों को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। प्रयोग के नाम पर करीब-करीब हर सीरीज में एक-दो नए चेहरे तो टीम में शामिल किए जाते हैं लेकिन उन्हें खेलने को पर्याप्त मौके नहीं मिलते। शार्दुल ठाकुर, रिषभ पंत, मोहम्मद सिराज, श्रेयस अय्यर, विनय शंकर, सिद्धार्थ कौल ऐसे ही चेहरे हैं जो अब तक इसी इंतजार में हैं कि उन्हें कब पर्याप्त मौका मिले और वह अपनी प्रतिभा दिखाएं।
क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच श्रेष्ठता की जो जंग होने जा रही है, उसमें कुछ खिलाड़ियों का अहम योगदान होगा। दक्षिण अफ्रीकी दौरे से पहले टीम इण्डिया के कप्तान विराट कोहली की बिंदास बल्लेबाजी चर्चा का विषय है। क्रिकेट में 51 शतक पूरे कर चुके विराट कोहली दक्षिण अफ्रीकी पट्टियों पर कैसा खेलेंगे इसको लेकर हर कोई उत्सुक है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे तेजी से 50 शतक लगाने के मामले में विराट हाशिम अमला की बराबरी पर हैं। हाशिम अमला और विराट कोहली ने क्रिकेट की 348 पारियों में ये शतक बनाए हैं। भारतीय बल्लेबाजों के लिए दक्षिण अफ्रीकी उछाल भरी विकेट और उसके गेंदबाज जहां सिरदर्द साबित होंगे वहीं भारतीय गेंदबाजों के लिए हासिम अमला और एबी डिविलियर्स जैसे धाकड़ बल्लेबाज परेशानी का सबब साबित हो सकते हैं। हासिम अमला का दुनिया के ठोस बल्लेबाजों में शुमार है तो एबी डिविलियर्स दुनिया के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज माने जाते हैं। विराट कोहली की ही तरह डिविलियर्स भी वनडे और टेस्ट में 50 का औसत रखते हैं। वनडे में सबसे तेज हाफ सेंचुरी (16 गेंद) और सबसे तेज शतक (31 गेंद) बनाने का रिकॉर्ड एबी डिविलियर्स के नाम है। भारत के दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर विराट की टीम की राह में यही खिलाड़ी सबसे बड़ी बाधा हो सकता है।
क्रिकेट की अनिश्चितता ही इस खेल की खूबसूरती को बढ़ाती है। दक्षिण अफ्रीका आंकड़ों और टीम संयोजन दोनों में ही कमतर नहीं है। इसकी खासियत खिलाड़ियों का अनुभव और लगातार अच्छा प्रदर्शन है। दक्षिण अफ्रीकी टीम का लगभग हर खिलाड़ी अलग-अलग देशों और अलग-अलग परिस्थितियों में खेलने का आदी है। जब टीम अपने घर में खेल रही हो तो फिर उसकी मजबूती पर उंगली उठाना खतरे से खाली नहीं है। दक्षिण अफ्रीकी टीम बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण तीनों में ही श्रेष्ठ है। बल्लेबाजी में हाशिम अमला, एबी डिविलियर्स, क्विंटन डी कॉक, डेविड मिलर और फाफ डू प्लेसिस मजबूत से मजबूत गेंदबाजी की धज्जियां उड़ाने की काबिलियत रखते हैं। मध्यक्रम के बल्लेबाज जेपी डुमिनी इस टीम का छुपा रुस्तम हैं। डिविलियर्स और क्विंटन डी कॉक को हमेशा से भारतीय गेंदबाज काफी रास आते रहे हैं। गेंदबाजी में भी दक्षिण अफ्रीका का तोड़ निकालना काफी मुश्किल नजर आता है। वायने पार्नेल, क्रिस मॉरिस, मॉर्ने मॉर्केल के साथ लेग स्पिनर इमरान ताहिर दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजी को एक अलग ही स्तर का बना देते हैं।
भारत की जहां तक बात है उसकी मजबूती बल्लेबाजी है। शीर्ष क्रम से लेकर निचले क्रम तक सभी बल्लेबाजों ने अपनी पट्टियों पर बेहतर प्रदर्शन किया है। दक्षिण अफ्रीका में विराट कोहली के सामने गेंदबाजी संयोजन को चुनना एक बड़ी चुनौती होगी। स्पिन गेंदबाजी दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों की कमजोरी है। साथ ही पिछली टेस्ट सीरीज में रविचन्द्रन अश्विन ने अफ्रीकी बल्लेबाजी को तहस-नहस कर दिया था। इसके अलावा अफ्रीकी टीम में तीन बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं, जिनके खिलाफ अश्विन तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं। विराट के वीरों को यदि दक्षिण अफ्रीका फतह करनी है तो उसके उद्घाटक बल्लेबाजों मुरली विजय, शिखर धवन के साथ ही के.एल. राहुल को दमदार खेल दिखाना होगा। इस दौरे में चेतेश्वर पुजारा और भुवनेश्वर कुमार का दमदार प्रदर्शन असम्भव को सम्भव में बदल सकता है। क्रिकेट में आंकड़े नहीं खेला करते, मौजूदा समय में भारतीय टीम क्रिकेट की महाशक्ति है। उम्मीद की जानी चाहिए कि टेस्ट क्रिकेट में शिखर पर आरूढ़ विराट के वीर दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाजों की मददगार विकेटों पर न केवल अपनी बल्‍लेबाजी की कठिन परीक्षा देंगे बल्कि उसमें पास भी होंगे। विराट के वीरों में खराब रिकॉर्ड में सुधार करने का दमखम और काबिलियत है।




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