भारतीय महिला
बॉडीबिल्डर का जलवा
यास्मीन चौहान
आम लड़कियों से एकदम अलग हैं। वह ऐसे खेल में
हैं जिसे मर्दों का खेल माना जाता है। एक लड़की होकर इस खेल में अपनी पहचान बनाना
कोई आसान काम नहीं है। यास्मीन चौहान को बाइक चलाना बेहद पसंद है। हर दर्द को सहकर
इस लड़की ने अपने शरीर को फौलाद का बनाया। अब तो लड़के भी यास्मीन चौहान से खौफ खाते
हैं। जब वो चलती हैं तो किसी लड़के की हिम्मत नहीं कि वह कोई कमेंट्स कर सके। हम
कह सकते हैं कि यास्मीन चौहान आज भारतीय महिला बॉडी बिल्डिंग का जाना पहचाना नाम
हैं। यास्मीन चौहान ने बॉडी बिल्डिंग जैसे खेल में देश को नई पहचान दिलाई है।
यास्मीन अब बॉडी बिल्डिंग के साथ-साथ अपना खुद का जिम चला रही हैं। यास्मीन के गुड़गांव
स्थित जिम में न सिर्फ लड़कियां बल्कि लड़के भी अपने शरीर को सुगठित करते हैं। इस
काम में यास्मीन का हाथ उनके पति अमन शर्मा बंटा रहे हैं। यास्मीन चौहान का कहना
है कि सरकार की तरफ से बॉडी बिल्डिंग जैसे खेल को कोई मदद नहीं मिलती, अगर सरकार
इस खेल पर थोड़ा भी ध्यान दे दे तो कई महिला खिलाड़ी उभरकर सामने आ सकती हैं।
वक्त बड़े से बड़े घावों को भर देता है तमाम
मुश्किलों से पार पाकर आज यास्मीन चौहान एक कामयाब जिन्दगी जी रही हैं लेकिन एक
खालीपन के अहसास के साथ। कुछ भी हो आज यास्मीन चौहान को भारत में आयरन वूमन के नाम
से जाना जाता है। यास्मीन कहती हैं कि हर कामयाबी के पीछे कड़ी मेहनत के साथ-साथ
कई कुर्बानियां भी होती हैं। मेरा भी बॉडी बिल्डर बनने का सफर आसान नहीं था। बचपन
में ही मेरे माता-पिता अलग हो गए थे। जिसके बाद दादा-दादी ने उनका पालन-पोषण कर
बड़ा किया। माता-पिता के न होने से उनका बचपन मुश्किलों से भरा रहा। वह खालीपन आज
भी उनके जीवन में है। यास्मीन कहती हैं कि माता-पिता के अलग-अलग रहने से मुझे किसी
का प्यार नहीं मिला। वे पल उन्हें अंदर तक तोड़कर रख देते थे जब उन्हें लोग बदसूरत
कहते।
यास्मीन ने मुश्किल और खालीपन के साथ अपने जीवन
को जिया और आगे बढ़ीं। अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए छोटी सी उम्र में ही
नौकरी की और धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बनीं। यास्मीन को बचपन से ही व्यायाम का शौक था
और देखते ही देखते वह बॉ़डी बिल्डर बन गईं। शुरुआत में आस-पड़ोस और नाते-रिश्तेदारों
ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तरह-तरह के ताने मारे और कहते लड़कियों को मर्दाना
खेल नहीं खेलने चाहिए लेकिन मजबूत इरादों वाली यास्मीन ने बॉडी बिल्डर बनने की न
केवल ठान ली बल्कि कामयाबी का परचम भी फहराया। यास्मीन ने साल 2015 में शो बॉडी
एक्सपो में दूसरा स्थान हासिल किया तो 2016 में मिस एशिया में कांस्य पदक जीता। इसी
साल मिस इंडिया फिजिक एण्ड फिटनेस टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यास्मीन
ने 2016 में ही पॉवर लिफ्टिंग प्रतियोगिता के डबल्स मुकाबले में स्वर्णिम सफलता
हासिल कर हर किसी को हैरत में डाला।
उत्तर प्रदेश की रहने वाली यास्नीन अब किसी
पहचान की मोहताज नहीं हैं। मैरीकॉम जैसी महिलाएं जहां बॉक्सिंग में भारत की विजय
पताका फहरा रही हैं वहीं यास्मीन चौहान जैसी महिलाएं शरीर सौष्ठव में किसी से कम
नहीं हैं। यास्मीन आम लड़कियों से काफी अलग हैं। यास्मीन ने 2003 में अपना एक
एरोबिक स्टूडियो स्कल्प्ट नाम से खोला। इसके बाद साल 2007 में उन्होंने इसका विस्तार कर उसमें जिम भी
खोल लिया। इस जिम में हर महीने करीब तीन सौ लड़के-लड़कियों को यास्मीन ट्रेनिंग
देती हैं। यास्मीन अब फुल टाइम जिम इंस्ट्रक्टर बन गईं हैं। मर्दों जैसी बॉडी रखने
वाली यास्मीन के शौक भी पुरुषों जैसे ही हैं। वह फर्राटे से बाइक चलाती हैं तो
उन्हें अब किसी से डर नहीं लगता। यास्मीन का कहना है कि वह वेटलिफ्टिंग में 66
किलो की शेप में रहते हुए भी भारी वेट उठा सकती हैं। यास्मीन कहती हैं कि मैने जिस
ओपन पॉवर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था उसमें 150 किलो वजन उठाया था जबकि सबसे ज्यादा 180 किलो वजन उठाने वाली वेटलिफ्टर का वजन 95 किलो था।
37
साल की यास्मीन ने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। बॉडी बिल्डर यास्मीन चौहान
ने अपने जांबाज हौसले से लोगों की सोच को बदल कर रख दिया है। यास्मीन बताती हैं कि
पढ़ाई के दौरान वह दूसरी लड़कियों की खूबसूरती देख उदास हो जाया करती थीं। तब
उन्होंने खुद की बॉडी को शेप में लाने का फैसला किया। वह पिछले 20 साल से जिम में इसके लिए पसीना बहा रही हैं। यास्मीन
बताती हैं कि मैं स्कूल से पासआउट होने के बाद कॉलेज पहुंची तब मैंने जिम जाने का
फैसला किया। उस वक्त मेरी उम्र 17 साल
की थी हालांकि तब लड़कियों के लिए जिम जाना काफी मुश्किल काम था। यास्मीन चौहान
कहती हैं कि अब तो जिम ही मेरा प्यार है। मैं चाहती हूं कि देश की बेटियां भी शरीर
सौष्ठव के क्षेत्र में भारत का नाम दुनिया में रोशन करें।
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