Saturday, 9 September 2017

लंका पर बजा भारत का डंका

विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने रचा इतिहास
श्रीप्रकाश शुक्ला
क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। भारतीय टीम ने श्रीलंका दौरे में जैसा प्रदर्शन किया वह न केवल ऐतिहासिक है बल्कि इस खेल के करोड़ों प्रशंसकों के लिए न भूलने वाला लम्हा भी है। जी हां, विराट कोहली की अगुआई में भारतीय जांबाज क्रिकेटरों ने लंका पर डंका बजाकर इस बात के संकेत दिए कि उन्हें अब विदेशी पट्टियों पर भी जीतना आ गया है। श्रीलंका दौरे पर विराट सेना ने जो उपलब्धि हासिल की है वह अपने आपमें एक मिसाल है। इससे पहले जो भी टीमें श्रीलंका दौरे पर गई थीं उन्हें या तो पराजय से दो-चार होना पड़ा या फिर मामूली सफलताएं ही मयस्सर हुईं। लेकिन इस बार विराट सेना ने अपने फौलादी प्रदर्शन से सारे किन्तु-परंतु मिथ्या साबित कर दिए। टेस्ट क्रिकेट के शिखर पर बिराजमान भारतीय पलटन का श्रीलंका में इस खेल के तीनों प्रारूपों में अपराजेय रहना तुक्का नहीं है।
कहते हैं किसी टीम की सफलता में उसके कप्तान का अहम रोल होता है। विराट कोहली ने अपनी पराक्रमी बल्लेबाजी और कुशल नेतृत्व की जो बानगी श्रीलंका में पेश की उससे टीम इंडिया के प्रशंसक ही नहीं क्रिकेट बिरादर भी अचम्भित है। इस दौरे में शिखर धवन, रोहित शर्मा, चेतेश्वर पुजारा, के.एल राहुल और विराट कोहली ने जहां श्रीलंकाई गेंदबाजों की नाक में दम किया वहीं जसप्रीत बुमराह की घातक गेंदबाजी से सिंहली बल्लेबाज हर मुकाबले में सहमे-सहमे से नजर आए। एकदिवसीय क्रिकेट में बुमराह को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया जाना भारतीय तेज गेंदबाजी के लिए सुखद संदेश है। श्रीलंका का उसकी ही सरजमीं पर मानमर्दन करने के बाद भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को उम्मीद है कि विराट सेना अपनी ही सरजमीं पर कंगारुओं को पराजय का पाठ जरूर पढ़ाएगी। 
विराट कोहली न केवल करिश्माई कप्तान हैं बल्कि टीम सहयोगियों का आदर्श भी हैं। विराट कोहली गेंदबाजों को सहयोग और आजादी देते हैं तो बल्लेबाजों को उन्मुक्त बल्लेबाजी के लिए भी प्रेरित करते हैं। यह कहने में जरा भी संकोच नहीं कि मैदान में कोहली की प्रतिबद्धता साथी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का काम करती है। विराट कोहली बल्लेबाजी और फील्डिंग दोनों ही मोर्चों में अपना शत-प्रतिशत योगदान देते हैं वहीं वह जब क्षेत्ररक्षण करते हैं तो जान लगा देते हैं तथा मैदान या नेट पर उनकी मशक्कत टीम साथियों में जुनून पैदा करती है। श्रीलंका दौरे पर कप्तान विराट कोहली ने सभी खिलाड़ियों को बारी-बारी से मौका देकर न केवल उनकी प्रतिभा को परखा बल्कि क्रिकेट में एक नजीर भी पेश की। भारत ने श्रीलंका को उसकी ही सरजमीं पर पराजय का पाठ पढ़ाकर कई मिथक तोड़े तो क्रिकेट बिरादर को यह संदेश भी दिया कि उसे अब घरू शेर के सम्बोधन से न नवाजा जाए।
श्रीलंका दौरा हर भारतीय खिलाड़ी के लिए खास रहा। इस दौरे में बल्लेबाजों ने जहां मनमाफिक रन बनाए वहीं गेंदबाजों ने श्रीलंकाई बल्लेबाजों को उन्मुक्त बल्लेबाजी करने से भी रोका। इस दौरे में विकेटकीपर बल्लेबाज महेन्द्र सिंह धोनी ने जहां विकेट के पीछे कमाल का प्रदर्शन किया वहीं जब-जब मौका मिला उन्होंने अपनी सदाबहार बल्लेबाजी का भी नायाब उदाहरण पेश किया। इस दौरे में धोनी 100 स्टम्प करने वाले दुनिया के पहले विकेटकीपर बने। इससे पहले यह रिकॉर्ड श्रीलंका के विकेटकीपर कुमार संगकारा के नाम दर्ज था जिन्होंने एकदिनी क्रिकेट करियर में 99 स्टम्प किए थे। भारतीय टीम ने छह सितम्बर की आधी रात को मेजबान श्रीलंका को ताबड़तोड़ क्रिकेट में सात विकेट से पराजित कर उसका 9-0 से सफाया कर दिया। विराट कोहली की कप्तानी में पहली बार भारतीय टीम ने विदेशी सरजमीं पर किसी टीम का तीनों प्रारूपों में क्लीन स्वीप किया। इस पूरे दौरे में कप्तान कोहली ने रनों का अम्बार लगाकर कई कीर्तिमान अपने नाम किए। विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने श्रीलंका को टेस्ट में 3-0, एकदिवसीय में 5-0 और टी-20 में 1-0 से पराजित किया। इससे पहले 9-0 से फतह हासिल करने का कीर्तिमान कंगारुओं के नाम रहा था, जिसने साल 2009-10 में अपनी ही सरजमीं पर पाकिस्तान को 9-0 से पराजय का हलाहल पिलाया था। भारतीय टीम की यह सफलता इसलिए खास है क्योंकि उसने श्रीलंका को उसकी ही पट्टियों पर पटका है।
श्रीलंका दौरे पर गई भारतीय टीम का शुरू से अंत तक मेजबान टीम पर पलड़ा भारी रहा। किसी भी मैच में ऐसा नहीं लगा जब श्रीलंकाई टीम जीतती नजर आई हो। श्रीलंका टीम इस समय बुरे दौर से गुजरती नजर आ रही है। सिंहलियों की लगातार पराजय ने उसके मुरीदों का भी दिल तोड़ दिया है। अपनी टीम की पराजय-दर-पराजय से वे इतने आहत-मर्माहत थे कि पल्लेकेले में खेले गए तीसरे एकदिवसीय मैच में उन्होंने गुस्से में मैदान पर बोतलें तक फेंकना शुरू कर दीं। दर्शकों के इस खराब व्यवहार को देखते हुए अम्पायरों को काफी समय तक मुकाबला रोके रखना पड़ा। यहां तक कि इस मुकाबले को पूरा करने के लिए दर्शकों को मैदान से भी बाहर करना पड़ा। श्रीलंकाई टीम के खराब प्रदर्शन का ही नतीजा रहा कि हर मुकाबले में दर्शक दीर्घाएं खाली पड़ी रहीं। श्रीलंका पर ऐतिहासिक सफलता हासिल करने के बाद टीम इण्डिया के कप्तान विराट कोहली ने सफलता का पूरा श्रेय टीम खिलाड़ियों को दिया। बकौल कोहली जहां तक मेरी बात है, मैं अपने मजबूत पक्षों पर ध्यान देता हूं और क्रिकेटिया शाट खेलता हूं। मैं हर प्रारूप के अनुरूप अपना खेल ढालने का प्रयास करता हूं। मैं सभी मैचों में खेलना चाहता हूं।
श्रीलंका के अंतरिम कोच निक पोथास भी मानते हैं कि भारतीय टीम काफी बेरहम प्रतिस्पर्धी है। पोथास ने भारतीय टीम की तारीफ करते हुए कहा कि श्रीलंकाई टीम जहां विकास की प्रक्रिया से गुजर रही है वहीं भारतीय टीम मुकम्मल है और उसमें गजब की काबिलियत भी है। भारतीयों के खिलाफ खेलना या उन्हें हराने की कोशिश करना हमारी टीम के लिए कठिन था। पोथास ने कहा कि हमारी टीम को कुछ और प्रतिस्पर्धी रुख अपनाना चाहिए था। हमें भारतीय टीम से खेल के तौर-तरीके सीखने होंगे। मैं विराट कोहली की विकेटों के बीच दौड़ का कायल हूं। मैदान पर बतौर कप्तान उसे जो सम्मान मिलता है, वह अकल्पनीय है। विराट क्रिकेटरों के लिये रोल माडल हैं। विराट ने टीम के भीतर जो संस्कृति बनाई है, वह काफी प्रभावी है। भारतीय टीम की सबसे अच्छी बात मैदान में उसका सकारात्मक पक्ष है। वे विरोधी का सम्मान तो करते हैं लेकिन मैदान पर कोई रियायत नहीं दिखाते। उनके खेल के तौर-तरीके भी काबिले तारीफ हैं।
भारतीय टीम की जहां तक बात है उसने अपने टेस्ट मैचों के 85 साल के ‌इतिहास में पहली बार विराट कोहली की कप्तानी में विदेशी धरती पर श्रीलंकाई टीम का तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में क्लीन स्वीप किया। इससे पहले कभी भी कोई भारतीय कप्तान विदेशी सरजमीं पर तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप नहीं कर सका था। कोहली की कप्तानी में भारत ने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार श्रीलंका की सरजमीं पर लगातार दो सीरीज जीतीं, इससे पहले भारतीय टीम ने 2015 में कोहली की ही कप्तानी में श्रीलंका के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेली थी। उस दौरे में भारत ने श्रीलंका को उन्हीं की सरजमीं पर 2-1 से हराकर 22 साल बाद सीरीज पर कब्जा किया था। विदेशी धरती पर जीतने का जहां तक सवाल है इस मामले में विराट कोहली ने महेन्द्र सिंह धोनी के कीर्तिमान को भी तोड़ दिया है। तीसरे टेस्ट में जीत के साथ ही विदेशी सरजमीं पर विराट कोहली ने सातवीं टेस्ट जीत हासिल की। धोनी की कप्तानी में टीम इण्डिया ने विदेशों में छह टेस्ट सीरीज जीती थीं।
भारत के तकरीबन हर खिलाड़ी ने श्रीलंकाई दौरे में अपनी प्रतिभा से इंसाफ किया तो यह दौरा बतौर बल्लेबाज कप्तान कोहली के लिए खास रहा। टेस्ट क्रिकेट में शिखर धवन ने जहां अपनी बल्लेबाजी की धाक जमाई वहीं एकदिनी क्रिकेट में रोहित शर्मा ने दो शानदार शतक जड़कर अपनी पिछली नाकामियों को धो डाला। कप्तान कोहली ने भी फटाफट क्रिकेट में दो शतक जड़े और कई कीर्तिमानों पर पानी फेर दिया। विराट कोहली ने पांचवें एकदिवसीय मैच में 110 रनों की नाबाद शतकीय पारी खेलकर अपने वनडे करियर के 30 शतक पूरे किए। इसी के साथ उन्होंने आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग के कीर्तिमान की भी बराबरी कर ली। कोहली और पोंटिंग से आगे मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर हैं जिनके नाम 49 शतक दर्ज हैं। रिकी पोंटिंग तो क्रिकेट को अलविदा कर चुके हैं लिहाजा सचिन के इस कीर्तिमान को कोहली से ही खतरा है। जहां तक शतकों की बात है कोहली सबसे कम मैचों में 30 शतक लगाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं। 

कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज के आखिरी दो मैचों में शतक जमाते हुए 2017 में सबसे पहले 1000 रन पूरे करने वाले बल्लेबाज भी बन गये हैं। विराट ने इस साल 18 मैचों में 92.45 के शानदार औसत से अब तक 1017 रन बनाए हैं जिनमें चार शतक और छह पचासे शामिल हैं। विराट कोहली ने टी-20 क्रिकेट में लक्ष्य का पीछा करते हुए हुए 21 पारियों में 1016 रन पूरे किए। इस मामले में उन्होंने न्यूजीलैंड के ब्रैंडन मैकुलम को पीछे छोड़ा है जिन्होंने 38 पारियों में 1006 रन बनाए थे। कोहली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में 15 हजार  रनों का जादुई आंकड़ा भी छू लिया है। इस मुकाम पर पहुंचने वाले वह भारत के सातवें और दुनिया के 33वें बल्लेबाज हैं। विराट ने अब तक 60  टेस्ट मैचों में 4658 रन, 194 एकदिवसीय मैचों में 8587 रन तथा 50 टी-20 मैचों में 1830 रन बनाए हैं। सफलता के शिखर पर सवार विराट कोहली की पलटन को अब अपनी ही सरजमीं में कंगारुओं से फटाफट और ताबड़तोड़ क्रिकेट में दो-दो हाथ करने हैं। भारतीय टीम को कंगारुओं से सावधान रहना होगा क्योंकि वह कभी भी हावी होने की क्षमता रखते हैं।  

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