सांड़ों
की लड़ाई में तीरंदाजों का हो रहा नुकसान
श्रीप्रकाश
शुक्ला
भारतीय
तीरंदाजी संघ के ढुलमुल रवैये से तीरंदाज न केवल असमंजस में हैं बल्कि उनका
प्रदर्शन लगातार अर्श से फर्श पर आ रहा है। हम कह सकते हैं कि भारतीय तीरंदाज
घुट-घुट कर मरने को मंजबूर हैं। 2010 में दिल्ली में हुए राष्ट्रमण्डल खेलों में
भारत को तीरंदाजी में स्वर्णिम सफलता दिलाने वाली दीपिका कुमारी का प्रदर्शन
लगातार गिर रहा है। तीरंदाजों की इस पीड़ा के लिए कुछ हद तक भारतीय खेल मंत्रालय
और भारतीय तीरंदाजी संघ जवाबदेह है। दरअसल इन दोनों के बीच बीते पांच साल से अनबन
चल रही है। भारतीय खेल मंत्रालय द्वारा तीरंदाजी संघ को निष्काषित किए जाने से
उसकी हालत खस्ता है। तीरंदाजों को भी न ही प्रशिक्षक मिल पा रहे हैं और न ही सुविधाएं।
दो सांड़ों की लड़ाई में तीरंदाजों का नुकसान हो रहा है।
प्रशासनिक
विवाद और दिसम्बर 2012 से जारी सरकारी स्पोर्ट्स कोड को
भारतीय तीरंदाजी संघ अपनी नाक का सवाल बना लिया है। भारतीय तीरंदाजी संघ झुकने को तैयार नहीं है नतीजन भारतीय तीरंदाजों
का प्रदर्शन औसत से नीचे आ गया है। हाल ही रोम में आयोजित विश्व कप तीरंदाजी में दीपिका
कुमारी पहले राउंड में ही बाहर हो गईं। इस
टूर्नामेंट में वह चीनी ताइपे की तान या टिंग से 6-0 से मुकाबला हारीं। दीपिका विश्व कप के लिए
क्वालीफाई करने वाली वह एकमात्र भारतीय थीं। दीपिका ने अंतिम बार अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर वर्ष 2015 में विश्व कप में रजत पदक जीता था। भारतीय
तीरंदाजों ने इंचियोन एशियन गेम्स में शानदार चार पदक हासिल किये थे। उस समय तीरंदाजों से बेहतरीन
भविष्य की उम्मीद जगी थी लेकिन भारतीय तीरंदाजी संघ और भारतीय खेल मंत्रालय के बीच
चल रही नूराकुश्ती ने तीरंदाजों के भविष्य पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
आज भारतीय
तीरंदाज कहां खड़े हैं इसके जवाब में वरिष्ठ तीरंदाज दीपिका कुमारी का जवाब है
कहीं भी नहीं। दीपिका ने कहा- मैक्सिको सिटी में 13 से 23 अक्टूबर तक विश्व चैम्पियनशिप का आयोजन होना है
लेकिन हम लोगों से पदक की कोई उम्मीद नहीं की जानी चाहिए क्योंकि हम टूर्नामेंट
में बिना किसी आशा के प्रवेश करेंगे। हम लम्बे समय से स्थायी प्रशिक्षक की मांग कर
रहे हैं लेकिन भारतीय तीरंदाजी संघ आज तक एक अदद कोच (भारतीय और विदेशी कोच) नहीं
दे सका है। बिना प्रशिक्षक के हमारे प्रदर्शन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। भारतीय
तीरंदाजी संघ ने विदेशी कोच चाई वुंग लिम को तीन साल के लिए नियुक्त किया था लेकिन रियो ओलम्पिक
में भारतीय निशानेबाजों के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखा
दिया गया। जब भी कोच के रिक्त पद को भरने की बात कही गई तभी भारतीय तीरंदाजी संघ ने
रटा-रटाया जवाब सुना देता है कि हम उम्मीदवारों को छांटने की प्रक्रिया से गुजर
रहे हैं। अफसोस की बात है कि भारतीय खेल मंत्रालय भी भारतीय तीरंदाजों की मदद करने
से परहेज कर रहा है।
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