Wednesday 24 July 2013

अब शटलरों की बल्ले-बल्ले

खिलाड़ियों की खरीद-फरोख्त के बाद यह तय हो गया है कि  आईपीएल की तर्ज पर अब देश में इंडियन बैडमिंटन लीग के सहारे शटलरों की बल्ले-बल्ले होगी। यह अच्छा प्रयास है पर इस पर सतत नजर रखनी होगी। प्रतियोगिता से पूर्व कम दाम में खरीदी गई ज्वाला गुट्टा जिस तरह ज्वाला बनकर मीडिया के सामने पेश हुईं हैं वह इस खेल के लिए शुभ संकेत नहीं है। ज्वाला की ज्वाला कई बार धधक चुकी है ऐसे में आईबीएल आईपीएल न बन जाये इस बात का ख्याल आयोजकों को रखना होगा।
वैसे भी जिस तरह आईबीएल की शुरुआत हुई उसमें क्रिकेट  की ही तरह बाजारीकरण के दीदार हुए हैं। वही खिलाड़ियों की खरीद-फरोख्त, वही बोली, वही नीलामी। देशी-विदेशी खिलाड़ियों की लोकप्रियता के हिसाब से उनका आधार मूल्य और नीलामी। खिलाड़ियों पर डालर और रुपयों की बरसात। वही फ्रेंचाइजियों की जोड़-तोड़। ऐसे में लगता है कि कहीं बैडमिंटन के बाजारीकरण का भी वही परिणाम सामने न आये जो देश में क्रिकेट का हुआ। इसमें दो राय नहीं कि देश में खेलों का विकास होना चाहिए, नई प्रतिभाएं सामने आनी चाहिए, उन्हें प्रोत्साहन मिलना ही चाहिए लेकिन यह सब कुछ बाजार के भरोसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
खेल खेलभावना का सूचक होने के साथ विश्व बंधुत्व की अलख जगाते हैं लिहाजा इसके साधन भी साफ-सुथरे होने चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है कि लोगों में खेल के प्रति विश्वास बना रहे। उसे यह नहीं लगना चाहिए कि यह खेल विशुद्ध पैसा कमाने का जरिया है। धनाढ्य लोगों की मौजमस्ती और खिलवाड़ का जरिया कम से कम खेलों को नहीं बनने देना चाहिए। यदि आईबीएल के आयोजक आईपीएल के दामन पर लगे दागों से सबक लेकर खेलों की शुचिता बनाए रखते हैं तो ऐसे प्रयासों का स्वागत ही किया जाना चाहिए। लेकिन एक बात तो तय है कि जो फ्रेंचाइजी लाखों रुपये खिलाड़ियों की खरीद-फरोख्त में खर्च कर रही हैं, वे जाहिर तौर पर लाभ कमाने के लिए ही सारा तामझाम कर रही हैं। मगर इसके बावजूद खेल की आत्मा का तो कम से हनन नहीं होना चाहिए। यानी खेल के साथ कोई ऐसा निगरानी तंत्र भी विकसित होना चाहिए जो खेल को महज खेल रहने दे।
नई दिल्ली में अगले महीने की 16 तारीख से शुरू होने वाले इंडियन बैडमिंटन लीग में मुकाबले नए प्रारूप के हिसाब से होंगे। भारतीय बैडमिंटन प्रेमियों के लिए दुनिया के नम्बर एक बैडमिंटन खिलाड़ी चोंग वेई को अपने देश में खेलते देखना रोमांचकारी होगा। एक जगह पर दुनिया के बैडमिंटन स्टार आइकान को खेलते देख नवोदित बैडमिंटन खिलाड़ियों को अवश्य प्रेरणा देगा। लेकिन ऐसे में आयोजकों का भी दायित्व बनता है कि वे खेल की गरिमा को अपनी प्राथमिकता बनाएं। इस काम में भारत सरकार का खेल मंत्रालय यदि सचेत रहे तो आईपीएल जैसे हालात पैदा नहीं होंगे। दुनिया के इस सबसे ज्यादा इनामी राशि वाले आयोजन पर हम गर्व कर सकते हैं कि देश में एक नई बैडमिंटन खेल संस्कृति का विकास होने जा रहा है। नई स्कोरिंग प्रणाली के तहत होने वाले पुरुष एकल, महिला एकल, पुरुष युगल तथा मिश्रित युगल मुकाबले खेल प्रेमियों को देखने को मिल सकेंगे। नई स्कोरिंग प्रणाली  से उन खिलाड़ियों को मदद मिल सकेगी, जिनका खेल आक्रामक है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय बैडमिंटन खेलप्रेमियों को रोमांचक खेल की दावत देगा और क्रिकेट की तरह इसकी भद नहीं पिटेगी।

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