Friday 5 July 2013

विदेशी भगाओ, हॉकी बचाओ



हॉकी में आठ बार के ओलम्पिक चैम्पियन भारत की स्थिति दिन-ब-दिन खराब हो रही है। लंदन ओलम्पिक में हम 12वें स्थान पर रहे तो बीते 10 साल में हमारा पुश्तैनी खेल अर्श से फर्श पर आ गिरा। जिस भारतीय हॉकी की कभी दुनिया में तूती बोलती थी उसकी स्थिति बद से बदतर हो गई है। समझ में नहीं आता कि हमारे खेल मंत्री और भारत सरकार क्या देख रहे हैं। भारतीय हॉकी के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै इसके साथ ही यह कहने से भी नहीं हिचकते कि यदि हमें अपने पुश्तैनी खेल से जरा भी लगाव है तो जल्दी से जल्दी विदेशी प्रशिक्षकों को देश से भगा देना चाहिए। खास बातचीत में पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै ने कहा कि हॉकी इण्डिया अपने काम को सही अंजाम नहीं दे पा रही। जब से विदेशी प्रशिक्षकों के हाथ भारतीय हॉकी गई, इस खेल का सत्यानाश हो गया है। टीम खिलाड़ियों को एकजुटता का पाठ पढ़ाने की जगह विदेशी प्रशिक्षक उनमें मनमुटाव पैदा कर अपनी कुर्सी बचा रहे हैं। क्या भारतीय टीम चयन में पक्षपात होता है? इस पर पिल्लै ने कहा कि शत-प्रतिशत ऐसा होता है। खिलाड़ियों के चयन में पक्षपात की बीमारी लम्बे समय से है। जो खिलाड़ी मैदान में अपना सौ फीसदी योगदान देते हैं उन्हें ही टीम से बाहर करने के पीछे साजिश रची जाती है। वजह यह है कि कुछ लोग नहीं चाहते कि टीम में सीनियर खिलाड़ी रहें और उनका महत्व कम हो। धनराज ने कहा कि हाल ही हालैण्ड से पिट-पिटाकर आई भारतीय पुरुष और महिला टीम के खराब प्रदर्शन की समीक्षा किये बिना अगले महीने मलेशिया में होने वाले एशिया कप हॉकी के प्रशिक्षण शिविर से संदीप और शिवेन्द्र सिंह को बाहर किया जाना भी इस खेल में बड़े गड़बड़झाले की ही तरफ इशारा करता है। उन्होंने कहा, मैं दावे से कह सकता हूं कि मौजूदा समय में शिवेन्द्र सिंह जैसा स्कोरर देश में दूसरा कोई खिलाड़ी नहीं है। उसने हालैण्ड में मिले अवसरों को भुनाने में कोई गलती नहीं की पर उसे बाहर कर दिया गया, जबकि हॉकी के कसूरवार खिलाड़ी टीम में हैं। हाल ही हालैण्ड में छठा स्थान हासिल करने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम की तरफ से हरवीर सिंह, धरमवीर और रघुनाथ जैसे खिलाड़ियों ने बेजा गलतियां कर जहां मुल्क को शर्मसार किया, वहीं इन पर कार्रवाई होने की जगह उन खिलाड़ियों को सजा दी गई जिन्होंने अपना शत-प्रतिशत योगदान दिया। भारतीय टीम में पक्षपात की बात स्वीकारते हुए पिल्लै ने कहा कि यह लम्बे समय से चल रहा है। विदेशी प्रशिक्षक खिलाड़ियों का खेल सुधारने की जगह उनके बीच मन-मुटाव पैदा कराकर मौज-मस्ती और सैर-सपाटा करते हैं। अफसोस, हॉकी इण्डिया सब कुछ जानते हुए भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। टीम में चल रहे गड़बड़झाले पर जब टीम के कुछ खिलाड़ियों से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हॉकी में सब कुछ सही नहीं चल रहा। इन खिलाड़ियों ने दबी जुबान से कहा कि जब तक हॉकी किसी हिन्दुस्तानी के हाथ नहीं होगी तब तक इस खेल का भला नहीं होने वाला।
खुदा मेहरबान तो...
हॉकी इण्डिया कुछ खिलाड़ियों पर मेहरबान है, इस बात का अंदाजा प्रशिक्षण शिविर के लिए चयनित खिलाड़ियों की सूची से सहज लगाया जा सकता है। इस शिविर में कुछ ऐसे खिलाड़ी रखे गये हैं जिन्होंने घरेलू स्तर पर भी हॉकी नहीं खेली। पिछले कुछ वर्षों में जिस मध्य प्रदेश ने हॉकी की बेहतरी के लिए सबसे अधिक काम किये उसका एक भी खिलाड़ी प्रशिक्षण शिविर में नहीं है। इस सूची को देखें तो इसमें छह खिलाड़ी कर्नाटक, तीन उड़ीसा, दो-दो खिलाड़ी मणिपुर और उत्तर प्रदेश तथा एक खिलाड़ी केरल का शामिल है। शेष लगभग सभी खिलाड़ी पंजाब और हरियाणा के हैं।
पक्षपात पर क्या बोले सितारे------
मैं क्या बताऊं: संदीप सिंह
एक साल पहले तक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ड्रैग फ्लिकरों में शुमार रहे संदीप सिंह ने पुष्प सवेरा से कहा, मुझे खुद ही नहीं पता कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? मुझे प्रशिक्षण शिविर से क्यों बाहर किया गया इस बारे में हॉकी इण्डिया ही सही-सही बता सकता है।
मेरा काम सिर्फ खेलना: शिवेन्द्र सिंह
भारतीय टीम के सेण्टर फारवर्ड शिवेन्द्र सिंह ने कहा कि वह मैदान में सिर्फ खेल से वास्ता रखते हैं। हालैण्ड में मुझे जब-जब अवसर मिला मैंने मौकों को भुनाने की कोशिश की। तीन गोल भी किये पर उसकी समझ में नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों हुआ?
... और बदहाल हॉकी इंडिया की इतनी लम्बी मीटिंग
एसएमएस से कहते रहे बत्रा- बैठक में हूं
हॉकी में चल रहे गड़बड़झाले पर हॉकी इण्डिया के महासचिव नरिन्दर बत्रा से बात करने की कोशिश करने पर उन्होंने कहा कि मैं अभी मीटिंग में हूं, थोड़ी देर बाद बात करूंगा। दिन में कई बार दूरभाष पर सम्पर्क की कोशिश की गई पर हर बार उन्होंने मैसेज के जरिये यही सूचना दी कि वे मीटिंग में हैं। समझ में नहीं आता कि जिस हॉकी इण्डिया का महासचिव मीटिंग को इतनी तवज्जो देता हो उस हॉकी का सत्यानाश क्यों और कैसे हो रहा है? अगर हॉकी इंडिया की इतनी लम्बी मीटिंग चलती हैं तो खेल का भला क्यों नहीं हो पा रहा।
महिला हॉकी में भी सब-कुछ ठीक नहीं: राजिन्दर सिंह
पुरुष हॉकी ही नहीं, महिला हॉकी में भी सब कुछ सही नहीं चल रहा। अण्डर-21 आयु वर्ग का विश्व कप खेलने जा रही टीम में कई उम्रदराज खिलाड़ियों का चयन किया गया है। दुर्भाग्य ही कहेंगे कि इस टीम का चयन बिना मुख्य प्रशिक्षक के हुआ है। संपर्क किए जाने पर द्रोणाचार्य अवार्डी राजिन्दर सिंह ने कहा कि जिस तरह टीम का चयन किया गया उसकी जांच होनी चाहिए।

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