Wednesday, 21 November 2012

आईओए चुनाव में हठधर्मी का ग्रहण

अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक संघ की नाराजगी कहीं भारत को विश्व खेल बिरादर से अलग-थलग न कर दे
आगरा। भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के चुनावों में हठधर्मी का ग्रहण लग चुका है। अब 25 नवम्बर को होने वाले इन चुनावों पर संदेह के बादल मंडराने लगे हैं। इन चुनावों में जिस तरह छल-प्रपंच चल रहा है उससे भारत अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक संघ की न केवल नाराजगी का शिकार हो सकता है बल्कि वह विश्व बिरादर से भी अलग-थलग पड़ जाए तो किसी को अचरज नहीं होना चाहिए। भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के चुनाव कुछ लोगों के लिए जहां नाक का सवाल बन गये हैं वहीं इनकी हठधर्मी से देश की अस्मिता तार-तार हो रही है। भारत में आईओए चुनावों को लेकर जो कुछ चल रहा है उससे आईओसी भी खुश नहीं है। कुछ लोग जहां भारतीय खेल मंत्रालय के खेल विधेयक की खिल्ली उड़ाते दिख रहे हैं वहीं कुछ दागी आईओसी की मनाही के बाद भी चुनावी दंगल में कूद गये हैं। अभय चौटाला व रणधीर सिंह के बीच अध्यक्ष की आसंदी को लेकर चल रही नूरा-कुश्ती भी दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है। दोनों गुटों के बीच चल रहे चीरहरण के बाद एक बार फिर खेल सल्तनत खिलाड़ी की जगह अनाड़ी के हाथ में जाती दिख रही है। इन आरोप-प्रत्यारोपों का परिणाम कुछ भी निकले पर इससे अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में भारत की जरूर थू-थू हो रही है।  आईओए चुनाव में रणधीर सिंह खेमा जहां भारतीय मुक्केबाजी संघ के चेयरमैन अभय चौटाला पर निशाना साध रहा है वहीं अभय चौटाला गुट के लोग रणधीर सिंह पर अध्यक्ष पद की अपनी उम्मीदवारी को पुख्ता करने के लिए सरकार से सम्पर्क करके ओलम्पिक चार्टर का उल्लंघन करने का आरोप लगा रहे हैं। भारतीय टेबल टेनिस महासंघ के अध्यक्ष अजय चौटाला, भारतीय तीरंदाजी संघ के उपाध्यक्ष तिरलोचन सिंह,आइस स्केटिंग संघ के अध्यक्ष भावेश भांगा, खो-खो संघ के अध्यक्ष राजीव मेहता और भारतीय कुश्ती महासंघ के सचिव सहदेव यादव ने अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष जाक रोगे को पत्र लिखकर कहा है कि रणधीर सिंह, जो खुद आईओसी के सदस्य भी हैं, ने ओलम्पिक चार्टर का उल्लंघन किया है। इनका कहना है कि अपनी सम्भावित पराजय को देखते हुए रणधीर सिंह खेल मंत्रालय से इन चुनावों में खेल संहिता को लागू करने का दबाव डाल रहे हैं जबकि आईओसी पहले ही चुनाव में सरकारी खेल संहिता अपनाये जाने के भारतीय खेल मंत्रालय के फैसले को पूरी तरह से खारिज कर चुका है।  भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि आईओए को आईओसी से एक पत्र मिला है जिसमें विश्व संस्था ने कहा है कि आईओए चुनाव हर हाल में उसके मौजूदा संविधान और ओलम्पिक चार्टर के नियमों के तहत हों। इन चुनावों को लेकर आईओसी ने तो यहां तक कहा है कि आईओए चुनाव में उसे किसी तरह का कोई सरकारी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं होगा। इन चुनावों को लेकर आईओए के कार्यवाहक अध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा भी खासे परेशान हैं। उन्होंने आईओसी से कहा है कि आईओए इस समय अजीब स्थिति में फंसा है। एक तरफ ओलम्पिक चार्टर है तो दूसरी तरफ सरकारी दिशा-निर्देश। इतना ही नहीं दिल्ली उच्च न्यायालय भी आदेश दे चुका है कि आईओए चुनाव सरकारी दिशा-निर्देशों के तहत ही हों।  बकौल मल्होत्रा हम उच्च न्यायालय के निर्देश की अवहेलना भी नहीं कर सकते तो दूसरी तरफ ओलम्पिक चार्टर का पालन करना भी हमारे लिए जरूरी है। दुविधा की स्थिति में अब राजस्थान उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश अनिल देव सिंह का पैनल ही कोई रास्ता निकाल सकता है। इन चुनावों की जटिलता को देखते हुए ही कुछ दिन पहले चुनाव पैनल के अध्यक्ष रहे एस.वाई. कुरैशी ने इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद आईओए चुनाव समय से हों इसके लिए सोमवार 19 नवम्बर को आईओए के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा ने अनिल देव को चुनाव पैनल का नया अध्यक्ष नियुक्त करने की घोषणा की। आईओए चुनाव आयोग के दो अन्य सदस्य जस्टिस वीके बाली (सेवानिवृत्त) और जस्टिस जे.डी. कपूर (सेवानिवृत्त) हैं। जस्टिस बाली की जहां तक बात है वह निर्वाचन अधिकारी भी हैं। ललित भनोट दे रहे आईओसी को चुनौती आईओए चुनाव में आईओए व आईओसी के बीच सहमति बनने में सबसे बड़ी रुकावट राष्ट्रमण्डल खेलों में दागी करार दिए गए ललित भनोट प्रमुख हैं। श्री भनोट आईओसी की परवाह किये बिना जहां स्वयं महासचिव का चुनाव लड़ रहे हैं वहीं उनकी तरफ से अभय चौटाला को जिताने की भी पुरजोर कोशिश की जा रही है। दरअसल इन चुनावों में भनोट की दिलचस्पी से ही रणधीर सिंह कमजोर पड़ते दिख रहे हैं। हालांकि खेल बिरादर के अधिकांश खिलाड़ी उनके पक्ष में लामबंद हैं पर पलड़ा चौटाला का ही भारी दिख रहा है। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि मैदान में पसीना बहाने वाले खिलाड़ियों पर हमेशा अनाड़ियों ने ही शासन किया है।

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