Monday 25 July 2016

अंतिम चार में पहुंच सकती हैं हाकी बेटियां

हाकी इण्डिया ने युवाओं पर दिखाया विश्वास
श्रीप्रकाश शुक्ला
यदि खिलाड़ियों में जीत का जुनून और मन में विश्वास हो तो खेलों में असम्भव कुछ भी नहीं हो सकता। 36 साल बाद डिफेंडर सुशीला चानू की अगुवाई में ओलम्पिक खेलों में शिरकत करने गई भारतीय टीम युवा है, वह कमाल कर सकती है। रक्षा पंक्ति में सुशीला की साथी अनुभवी दीपिका कुमारी पर काफी दारोमदार होगा। इस युवा पलटन को यह बात हमेशा अपने जेहन में रखनी होगी कि 1980 मास्को ओलम्पिक में रूपा सैनी की अगुवाई में गई भारतीय पलटन ने चौथा स्थान हासिल किया था। ओलम्पिक कड़ी प्रतिस्पर्धा है, इसके हर मुकाबले का अपना महत्व है। भारतीय टीम में पांच डिफेंडर, पांच मिडफील्डर, पांच फारवर्ड और सिर्फ एक गोलकीपर सविता को शामिल किया गया है। डिफेंस में टीम के पास दीपिका, सुनीता लाकड़ा, नमिता टोप्पो और दीप ग्रेस एक्का जैसी अनुभवी खिलाड़ी हैं तो मिडफील्ड में रेणुका, लिलिमा मिंज, मोनिका, नवजोत कौर और युवा निक्की प्रधान को स्थान मिला है। भारतीय हमलावरों में रानी रामपाल, पूनम रानी, वंदना कटारिया, अनुराधा देवी थोकचोम और प्रीति दुबे में मजबूत से मजबूर रक्षापंक्ति को तितर-बितर करने की क्षमता है बशर्ते वे मुकाबले के दिन अपनी क्षमता पर भरोसा रखें। खेल कोई भी हो हमला ही जीत की बुनियाद पक्की करता है। महिला टीम सात अगस्त को जापान के खिलाफ अपने ओलम्पिक अभियान का आगाज करेगी। ओलम्पिक हॉकी प्रतियोगिता में पहली बार क्वार्टर फाइनल मुकाबले खेले जाएंगे। हर एक पूल की टॉप चार टीमें नॉकआउट राउण्ड के लिए क्वालीफाई कर जाएंगी। क्वार्टर फाइनल की विजेता टीमें सेमीफाइनल में प्रवेश करेंगी जहां से गोल्ड और कांस्य पदक के मुकाबले निर्धारित होंगे।
भारतीय महिला टीम को पूल बी में अर्जेण्टीना, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका और जापान के साथ रखा गया है। सुशीला चानू की इस युवा फौज को अंतिम आठ में पहुंचने के लिए कम से कम अपने पूल की दो टीमों का मानमर्दन करना होगा। भारतीय लड़कियों ने ओलम्पिक खेलों से पहले हुए अपने अभ्यास मैचों में अमेरिका को हराया है तो जापान की टीम को वे आसानी से हरा सकती हैं। दरअसल भारत के पदक की उम्मीद तभी बनेगी जब वह अपने पूल की श्रेष्ठ टीमों पर विजय दर्ज करे। ओलम्पिक खेलों की जहां तक बात है महिला हाकी को शामिल हुए अभी 36 साल ही हुए हैं और भारतीय महिला हाकी टीम दूसरी बार इन खेलों में अपनी काबिलियत कर परिचय देगी। सुशीला चानू की इस युवा पलटन ने 2015 में विश्व हाकी लीग सेमीफाइनल के जरिये क्वालीफाई किया था। भारतीय महिला हाकी टीम जब 1980 में मास्को ओलम्पिक में खेली थी तब क्वालीफिकेशन प्रक्रिया नहीं थी। देखा जाए तो अब महिला हाकी भी काफी प्रतिस्पर्धी हो गई है। 
भारतीय महिला हॉकी टीम के मुख्य कोच नील हागुड का साफ कहना है कि हमने योग्यता के आधार उपलब्ध खिलाड़ियों की सर्वश्रेष्ठ टीम चुनी है। खैर, यह भारतीय बेटियों के लिए ऐतिहासिक लम्हा है क्योंकि इस टीम की सभी सदस्य पहली बार ओलम्पिक खेल रही हैं। भारतीय महिला टीम की कप्तान सुशीला चानू को भी पता है कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह और उनकी पलटन यदि ओलम्पिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती है तो उससे भारतीय महिला हाकी का ही भला होगा। सात अगस्त को जापान से दो-दो हाथ करने से पहले भारतीय टीम ने कनाडा और अमेरिका से अभ्यास मुकाबले खेलकर अपनी क्षमता का अंदाजा लगा चुकी है। अभ्यास मैचों में टीम खिलाड़ियों से जो गलतियां हुईं उम्मीद है कि उन्हें नहीं दोहराया जाएगा। रियो ओलम्पिक खेलने गई भारतीय महिला टीम में बेशक मध्यप्रदेश की कोई बेटी नहीं है लेकिन इस टीम की सात सदस्य ग्वालियर में संचालित महिला हाकी एकेडमी की कभी न कभी सदस्य रह चुकी हैं। इनमें कप्तान सुशीला चानू, वंदना कटारिया, पूनम रानी मलिक, रेणुका यादव, मोनिका, अनुराधा देवी थोकचोम और प्रीति दुबे शामिल हैं। एकेडमी की वर्तमान सदस्य प्रीति दुबे काफी प्रतिभाशाली हमलावर है, उसने अभ्यास मैचों में अपनी काबिलियत को सिद्ध भी किया है। यद्यपि वह अभी मुल्क की तरफ से काफी कम मुकाबले खेली है लेकिन उसकी प्रतिभा और इस खेल के प्रति उसके समर्पण को देखते हुए यह कहने में जरा भी संकोच नहीं कि वह लम्बे समय तक भारतीय महिला हाकी का भला कर सकती है।
रियो ओलम्पिक में भारत की सदाबहार हमलावर रानी रामपाल पर काफी दारोमदार है। भारतीय महिला हॉकी में रानी रामपाल का अहम योगदान है। रानी रामपाल न केवल युवा हैं बल्कि उन्हें डेढ़ सौ से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैचों का अनुभव भी है। चार दिसम्बर, 1994 को हरियाणा के शाहाबाद मारकंडा में जन्मी इस फारवर्ड हॉकी खिलाड़ी ने 2009 में केवल 14 साल की उम्र में ही सीनियर महिला हॉकी टीम में प्रवेश किया था। भारतीय सीनियर महिला टीम में प्रवेश के बाद रानी रामपाल ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। रानी रामपाल ने साल 2009 रूस में आयोजित चैम्पियन चैलेंजर्स के फाइनल में चार गोल दागकर भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। इस शानदार प्रदर्शन के लिए रानी रामपाल को यंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के खिताब से नवाजा गया था। भारत की टीम ने जब 2009 के एशिया कप में सिल्वर मेडल जीता तब भी इस खिलाड़ी का ही परफॉर्मेंस यादगार रहा। इतना ही नहीं 2010 के हॉकी वर्ल्ड कप में रानी रामपाल को यंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब मिला। हॉकी वर्ल्ड कप में रानी रामपाल ने सात गोल किए थे। रानी के करिश्माई प्रदर्शन का ही कमाल कहेंगे कि भारत को पहली बार वर्ल्ड रैंकिंग में 9वां स्थान मिला जो एक रिकॉर्ड है। वर्तमान में भारतीय महिला हॉकी टीम की रैंकिंग 13 है। 2010 में इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन द्वारा ऑल स्टार टीम ऑफ द ईयर में रानी रामपाल को शामिल किया गया था जो किसी भी हॉकी खिलाड़ी के लिए बड़ी बात है। महिला वर्ल्ड कप 2010 में रानी रामपाल को बेस्ट यंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब दिया गया था। इसके साथ-साथ इस खिलाड़ी ने जूनियर महिला हॉकी में भी कमाल का खेल दिखाया। रानी रामपाल के शानदार खेल से ही भारतीय टीम को 2013 के जूनियर वर्ल्ड कप में कांस्य पदक मिला और वह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनी। 2014 में रानी रामपाल को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ इंडस्ट्रीज के तरफ से कमबैक ऑफ द ईयर के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
रानी रामपाल की ही तरह भारतीय महिला हॉकी की स्टार फारवर्ड पूनम रानी ने भी अपने बेहतरीन खेल से कई बार हॉकीप्रेमियों का दिल जीता है। आठ फरवरी, 1993 को हरियाणा के हिसार में जन्मी पूनम रानी मलिक ने 2009 में भारतीय महिला हॉकी टीम में प्रवेश किया। इसके साथ-साथ पूनम रानी मलिक 2009 में यूएसए में हुए एफआईएच जूनियर विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा रहीं। 2010 में पूनम रानी मलिक ने जापान, चीन और न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए अपना शानदार योगदान दिया। अपने शानदार खेल परफॉर्मेंस की बदौलत ही वह कोरिया में आयोजित एफआईएच महिला वर्ल्ड कप में भारतीय टीम में जगह बनाने में सफल हुई। इसके बाद इस हमलावर ने दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स तथा इंचियोन में हुए एशियन गेम्स में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। रियो ओलम्पिक में पूनम रानी का खेल भारतीय टीम में नई जान डाल सकता है। सच कहें तो यह खिलाड़ी फिलवक्त भारतीय महिला हॉकी टीम की मजबूत कड़ी में से एक है।
वंदना कटारिया का नाम महिला हॉकी में बेहतरीन फारवर्ड खिलाड़ी के तौर पर लिया जाता है। 15 अप्रैल, 1992 को उत्तर प्रदेश में जन्मी वंदना कटारिया आज भारतीय महिला हॉकी का अहम हिस्सा है। वंदना कटारिया को 2006 में पहली बार जूनियर महिला हॉकी टीम प्रवेश मिला और इसके ठीक चार साल बाद वह सीनियर टीम का हिस्सा बनी। भारत की हर जीत में इस खिलाड़ी का अहम योगदान रहता है। फिलवक्त वंदना भारत की टाप स्कोरर है। इस खिलाड़ी का भी 2013 के जूनियर वर्ल्ड कप में भारत को कांस्य पदक दिलाने में अहम योगदान रहा। जूनियर विश्व कप में वंदना चार मैचों में पांच गोल कर भारत की टाप स्कोरर रही। 2014 में हुए हॉकी वर्ल्ड लीग सेमीफाइनल राउंड दो में वंदना ने भारत के लिए कुल 11 गोल किए थे। वंदना कटारिया को साल 2014 में बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए हॉकी इंडिया की तरफ से प्लेयर ऑफ द ईयर के खिताब से भी नवाजा जा चुका है। वंदना कटारिया की बड़ी बहन रीता कटारिया भी रेलवे की तरफ से हॉकी खेलती थी।
भारतीय महिला टीम में गोलकीपर के रूप में सविता पूनिया ने जो कमाल किया है वह अपने आपमें शानदार है। हॉकी में गोलकीपर की भूमिका बेहद ही अहम होती है। रियो में वह भारत की एकमात्र गोलकीपर हैं। 70 मिनट के खेल में गोलकीपर पर ही हमेशा सबसे ज्यादा दबाव रहता है। सविता पूनिया ने अपने शानदार खेल से कई बार विपक्षी टीमों के सम्भावित गोलों को बचाकर भारतीय टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। सविता अब तक भारतीय टीम के लिए सवा सौ से अधिक अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेल चुकी है। मलेशिया में आयोजित 8-जी महिला एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट 2013 में सविता पूनिया ने जबरदस्त परफॉर्मेंस कर टीम में अपनी जगह पुख्ता की। इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने कांस्य पदक जीता था। सच कहें तो सविता पूनिया ने ही बेल्जियम में हुए ओलम्पिक क्वालीफाइंग मुकाबले में शानदार खेल दिखाकर भारत को टूर्नामेंट के अंत तक पांचवें नम्बर पर पहुंचाने में खास भूमिका निभाई थी। सविता रियो ओलम्पिक में कैसा जौहर दिखाती है, यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन उम्मीद है कि वह सवा अरब देशवासियों को निराश नहीं करेगी।

                          यह है 16 सदस्यीय महिला टीम-
गोलकीपर- सविता (कप्तान)। डिफेंडर- सुशीला चानू (कप्तान) दीप ग्रेस एक्का, दीपिका (उपकप्तान), नमिता टोपो, सुनीता लाकड़ा। मिडफील्डर- नवजोत कौर, मोनिका, निक्की प्रधान, रेणुका यादव, लिलिमा मिंज। फारवर्ड- अनुराधा देवी थोकचोम, पूनम रानी, वंदना कटारिया, रानी रामपाल, प्रीति दुबे।
                                     टीमों की स्थिति
                     पूल ए- नीदरलैण्ड, न्यूजीलैंड, चीन, जर्मनी, कोरिया और स्पेन
                     पूल बी- अर्जेण्टीना, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका, जापान, भारत


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