भारतीय महिलाओं की साख में इजाफा
सच तो यह है भारतीय नारी
शक्ति एक के बाद एक नए प्रतिमान स्थापित कर रही है। आज कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां
भारतीय महिलाओं के पदचाप न सुनाई दे रहे हों। अंशुला कांत को ही लें उनके हाथ
दुनिया के खजाने की चाबी दी गई है। यह हमारी साख का ही कमाल है कि विश्व की तमाम
बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारतीय महिलाओं को बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियों से नवाज कर
उनका हौसला बढ़ा रही हैं। पिछले एक साल पर नजर डालें तो दुनिया की चर्चित
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के एक दर्जन शीर्ष पदों पर भारतीय प्रतिभाओं की
नियुक्तियां हुई हैं। इन चर्चित कम्पनियों में फिलिप्स लाइटिंग, जापान की प्रमुख
इलेक्ट्रानिक कम्पनी पैनासॉनिक, कोका कोला, चीनी मोबाइल कम्पनी शिओमी, जीबीएस, एरिक्सन आदि का शुमार है।
महिलाओं
के साख की इस कड़ी में अब एक बड़ा नाम और जुड़ गया है अंशुला
कांत का। अंशुला को विश्व बैंक का एमडी और सीएफओ बनाया गया है। वे भारत के सबसे
बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रही हैं। बैंकिंग
क्षेत्र में सफलतापूर्वक कार्य करने के लम्बे अनुभव के चलते ही उन्हें विश्व बैंक का
प्रतिष्ठित पद मिला है। अंशुला कांत की साख और प्रतिभा का अंदाजा इस
बात से लगाया जा सकता है कि उनकी नियुक्ति के बाबत विश्व बैंक के प्रेसीडेंट डेविड
मल्पास ने यहां तक कहा कि ‘विश्व की
सर्वोच्च बैंकिंग संस्था को एक ऐसी शख्सियत मिल रही है, जिसका फायदा न
केवल बैंक को होगा बल्कि दुनिया के दूसरे देशों को भी लाभ मिलेगा। मैं और मेरी टीम
उनके साथ काम करने को उत्साहित है। हम उनके साथ मिलकर बेहतर परिणाम देंगे। दरअसल, अंशुला विश्व बैंक में फाइनेंशियल और रिस्क मैनेजमेंट की
जिम्मेदारी सम्हालेंगी।
नये दायित्वों के अंतर्गत
अंशुला कांत विश्व बैंक के प्रबंधन कार्यों के साथ वित्तीय रिपोर्टिंग, रिस्क मैनेजमेंट
व अन्य वित्तीय संसाधन जुटाने का कार्य करेंगी। अपने करियर की दूसरी पारी में
बैंकिंग सेक्टर में साढ़े तीन दशक के अपने अनुभव का लाभ अंशुला को मिलेगा। एसबीआई
में उनकी पारी शानदार रही है। विश्व बैंक में अशुंला का कार्यकाल 30 सितम्बर, 2020
तक रहेगा। अंशुला को गत छह सितम्बर 2018 को भारतीय स्टेट बैंक का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया था। इससे
पहले वह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की डिप्टी एमडी एवं सीएफओ के पद पर कार्यरत रही हैं।
उत्तराखंड के रुड़की की रहने वाली अंशुला कांत का जन्म सात सितम्बर, 1960 को हुआ।
गृह जनपद में प्रारम्भिक पढ़ाई के बाद उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर
वूमेन से इकोनॉमिक्स में आनर्स के साथ ग्रेजुएशन की। कालांतर में दिल्ली स्कूल ऑफ
इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। उन्हें स्टेट
बैंक के फाइनेंशियल मैनेजमेंट को और बेहतर बनाने के लिये जाना जाता है। इसके अलावा
बैंकिंग सेवा में तकनीकी ज्ञान के बेहतर इस्तेमाल के लिये भी उनकी सराहना होती है।
माना जाता है कि अशुंला
कांत नेतृत्व की चुनौतियों के मुकाबले में खासी निपुण हैं। उनकी उपलब्धियों में यह
भी शुमार है कि उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सीएफओ के रूप में 38 बिलियन अमेरिकी
डॉलर के राजस्व तथा पांच सौ बिलियन डॉलर की कुल सम्पत्ति का प्रबंधन किया।
उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की दीर्घकालीन स्थिरता पर फोकस रखा। साथ ही
उन्होंने एसबीआई के पूंजी आधार में काफी सुधार किया। नि:संदेह इन तमाम उपलब्धियों
के साथ-साथ अंशुला के पास बैंकिंग सेक्टर में 35 साल काम करने का
व्यापक अनुभव है, जो निश्चित रूप
से उनकी दूसरी पारी में कामयाबी की नई इबारत लिखने में काम आयेगा। आशा है कि
अनुभवी और बैंकिंग सेक्टर में लीडरशिप चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्षम अंशुला
उम्मीदों की कसौटी पर खरा उतरेंगी।
बहरहाल, बनारस की इस बहू
ने इस नियुक्ति से देश को गौरवान्वित किया है। साथ ही भारतीय महिलाओं के
लिये भी प्रेरणा की मिसाल बनी हैं। उन्होंने अपनी कार्यशैली से एक नजीर पेश की हैं
कि यदि कोई महिला चाहे तो कार्य के प्रति समर्पण व मेहनत से दुनिया के तमाम वे
बड़े पद हासिल कर सकती है,
जिन पर अब तक
पुरुषों का वर्चस्व रहा है। अपने काम के प्रति समर्पित व सख्त अनुशासन की पाबंद
अंशुला ने अपने गुणों के चलते करियर में विशिष्ट स्थान बनाया है। उनकी सफलता से
प्रफुल्लित उनके पति संजय कांत बताते हैं कि अंशुला कालेज के दिनों से ही मेधावी
रही हैं। उनकी सबसे बड़ी खासियत यही है कि वह जो भी काम शुरू करती हैं, उसे पूरा किये
बिना नहीं रुकतीं। उसी लगन से उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियां भी निभाई हैं।
बच्चों के पालन-पोषण में भी वह समय की बहुत पाबंद रही हैं। संजय कांत पेशे से चार्टेड एकाउंटेंट हैं। बहरहाल, यह पूरे देश के लिये प्रतिष्ठा की
बात है कि एक भारतीय महिला को विश्व बैंक का एमडी बनाया गया है। साथ ही
देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक स्टेट बैंक आफ इंडिया के लिये भी कि उसके एक
बैंकर को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। आज के इस प्रतिस्पर्धी दौर में अंशुला
की इस उपलब्धि को कमतर नहीं माना जा सकता। यह सम्पूर्ण भारतीय नारी शक्ति के लिए
गर्व और गौरव की बात है।
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