Friday 6 September 2013

उत्तम राह पर उत्तर प्रदेश

बीते साल विधानसभा चुनाव के समय जब देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की आम जनता को समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का भरोसा दे रही थी, उस समय किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसा हो भी सकता है। इसकी वजह सूबे की 22 करोड़ की आबादी और उसके सीमित संसाधनों को जाता है। प्रदेश की जनता ही नहीं किसी राजनीतिक दल को भी भरोसा नहीं था कि समाजवादी पार्टी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी। लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता ने गठबंधन की गांठ खोलते हुए न केवल युवा अखिलेश यादव पर पूरा भरोसा जताया बल्कि सपा की झोली में एक ऐतिहासिक जीत डाल दी। खुशी यह है कि सरकार प्रदेश के ढेरों युवा वोटरों को संतुष्ट करने में सफल सिद्ध हुई है।
15 मार्च, 2012 को उत्तर प्रदेश की सल्तनत का सरताज बनने के बाद अखिलेश यादव ने प्रदेश की जनता, खासकर युवाओं से किये गये वायदे एक-एक कर पूरे करने शुरू किए। युवाओं को बेरोजगारी भत्ता, तो मेधावी बेटियों को कन्या विद्या धन और प्रतिभाशाली छात्रों को लैपटॉप देने को सरकार ने पहली वरीयता में रखा। आज प्रदेश भर में बांटे गये लैपटॉपों को पाकर मेधावी छात्र-छात्राएं जहां पुलकित हैं वहीं गांव-गांव तक पहुंची सूचना क्रांति का किसान भी लाभ उठाने को तैयार हैं। देखा जाये तो आजादी के बाद से ही देश के नागरिकों को शिक्षा और चिकित्सा का मौलिक अधिकार प्राप्त है लेकिन इसके उलट, आजादी के 66 बरस बाद स्वतंत्र भारतीय गणतंत्र में निवास करने वाले आम जनमानस को मौलिक और संवैधानिक दोनों ही अधिकार अर्थ के बदले ही मयस्सर हो रहे हैं। यह विडम्बना देश के नीति-नियंताओं की देन है, जिन्होंने नागरिकों को बेबसी में जीने को विवश किया है। हर क्षेत्र के घटनाक्रमों पर दृष्टिपात का कुल जमा फलसफा बहुत सुखद नहीं कहा जा सकता। उत्तर प्रदेश की बात करें तो आजादी के बाद से ही इस सूबे को राजनीतिक संत्रास का सामना करना पड़ा है। राजनीतिक दलों ने प्रदेश को देश की सल्तनत का रास्ता तो हमेशा माना पर दिल्ली पहुंचते ही यहां की गरीब आवाम को भूल गये। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव प्रदेश के जनमानस को राजनीतिक भूल-भुलैया से दूर निकालने की न केवल हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं बल्कि सूबे पर जब भी कोई संकट आता है तो मुख्यमंत्री को नसीहत देने से नहीं चूकते। जिस तरह से उसका असर होता है, उससे लगता है कि अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की जवाबदेही सौंपना एक अच्छा फैसला है। अखिलेश युवा भले हों पर उनकी दूरदृष्टि मंझे हुए राजनीतिज्ञों से कहीं बेहतर कही जा सकती है।
एक तरफ देश के नीति-नियंता आम आदमी के जीवनयापन को जहां अपनी ही तूलिका से तौल रहे हैं, वहीं समाजवादी पार्टी जमीनी हकीकत को समझते हुए गरीब परवरदिगारों की आवाज दिल्ली तक बुलंद कर रही है। आज देश के लोकतंत्र और गणतंत्र के सामने गंभीर चुनौती आ खड़ी हुई है। बढ़ती महंगाई से देश का हर आदमी आशा-निराशा भरे चौराहे पर खड़ा है। बात शिक्षा की हो, स्वास्थ्य अथवा कृषि की,आजादी के साढ़े छह दशक बाद भी राज्यों से लेकर केन्द्र तक की सरकारें प्रयोगधर्मिता के आगोश से मुक्त नहीं हो पाई हैं। तथाकथित जवाबदेह नेतृत्व और प्रतिनिधित्व करने वाले राजनैतिक दलों के नुमाइंदे आज दोहरे चरित्र और मानदण्डों का शिकार हैं। एक तरफ जहां शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय विद्वानों-चिन्तकों और शिक्षाशास्त्रियों के सवाल सत्ता के गलियारों से बिना जवाब पाए लौट रहे हैं, वहीं अखिलेश सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में शिक्षक भर्ती को प्राथमिकता देकर युवाओं के लिए रोजगार सृजन की भी पहल की है। एक समय प्रदेश की ग्रामीण प्रतिभाएं उच्च शिक्षा और उच्च तकनीक से वंचित थीं पर समाजवादी पार्टी सरकार सीमित संसाधनों के बाद भी युवाओं को लैपटॉप की सौगात देकर उनकी मुट्ठी में दुनिया सौंप रही है। एक बीमारू राज्य को भला-चंगा करने में वक्त तो लगेगा पर उम्मीद है कि सपा सरकार इसमें सफल होगी। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार जो आमूलचूल परिवर्तन कर रही है उससे निरक्षरों की संख्या घटेगी, इस पर संदेह नहीं किया जा सकता।  इसके साथ ही मुख्यमंत्री आम जनता के लिए सुलभ भी हुए। उनके जनता दर्शन कार्यक्रम से 26 प्रतिशत लोग लाभान्वित हुए। सपा सरकार ने सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि महिलाओं और किसानों के लिए भी कई लाभकारी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की कोशिश की है। प्रदेश में वूमेंस पॉवर लाइन, समाजवादी एम्बुलेंस सेवा, कन्या विद्या धन, पढ़ें बेटियां-बढ़ें बेटियां, रानी लक्ष्मीबाई पेंशन योजना, हमारी बेटी-उसका कल योजनाएं गरीब महिलाओं और बेटियों के लिए खुशियों की सौगात साबित हो रही हैं। इन योजनाओं से गरीबों में विश्वास जागा है। जो गरीब शिक्षा को दूर की कौड़ी मानते रहे हैं, उनके बच्चे आज न केवल स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं बल्कि सरकार उन्हें मुफ्त गणवेश और पुस्तकें भी मुहैया करा रही है। महिला-बेटियों के साथ ही सरकार ने धरती पुत्रों के लिए क्रेडिट कार्ड योजना, कर्जमाफी योजना के साथ-साथ उन्हें ग्राम उद्योग योजना की सौगात देकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है। सपा सरकार के अब तक के 18 माह के कार्यकाल पर लोग लाख नुक्ताचीनी करें पर प्रदेश की गरीब जनता और युवाओं को राहत जरूर मिली है। उम्मीद है कि 2017 तक अखिलेश सरकार न केवल अपने सभी वायदे पूरे करेगी बल्कि उसका कार्यकाल प्रदेश में तरक्की की नई पटकथा भी लिखेगा।

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