Thursday 2 July 2020

भारतीय लोग जहां श्रीमद्भिगवद्गी ता के महत्व को अंगीकार करने में संकोच कर रहे हैं वहीं तुलसी गेबार्ड अमेरिका में इस ग्रंथ की महत्ता को बताने में जरा भी नहीं हिचक रही हैं। तुलसी गेबार्ड का कहना है कि श्रीमद्भिगवद्गी ता में ऐसी ऊर्जा समाहित है, जिससे व्यक्ति को निश्चितता, शक्ति और शांति मिल सकती है। यह हम भगवान श्रीकृष्ण के सिखाये कर्मयोग व भक्तियोग के मार्ग के जरिये हासिल कर सकते हैं।’ अमेरिकी कांग्रेस की हिन्दू सदस्य तुलसी गेबार्ड ने हाल ही में एक ऑनलाइन सम्बोधन में श्रीमद्भअगवद्गी ता के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। तुलसी गेबार्ड अमेरिकी कांग्रेस में एकमात्र हिन्दू सांसद हैं। वे तब सुर्खियों में आई थीं जब उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस में अपने पद की शपथ गीता को हाथ में रखकर ली थी। वह न भारतीय मूल की हैं और न ही जन्म से हिन्दू हैं। मां से मिले संस्कारों के बाद उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाया। उनके पिता कैथोलिक धर्म को मानने वाले हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तुलसी इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए दावेदारी जता रही हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि यदि पार्टी उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बनाती तो वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव नहीं लड़ेंगी। बहरहाल, अमेरिका में यहूदियों के बाद दूसरे नम्बर पर समृद्ध भारतीयों में वे खासी लोकप्रिय हैं। उन्हें हिंदू समाज की आवाज के रूप में देखा जाता है।
तुलसी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुखर विरोधी रही हैं। यहां तक कि जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी डोनाल्ड ट्रम्प के साथ आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में भाग लेने आये, तो वह उस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं। 
तुलसी प्रधानमंत्री मोदी की मुखर समर्थक रही हैं। बाद में सॉरी कहते हुए उन्होंने राष्ट्रपति पद की दावेदारी से जुड़े कार्यक्रम में  अपनी व्यस्तता का हवाला दिया। हवाई राज्य से लगातार रिकॉर्ड मतों से जीतने वाली तुलसी राजनीति में आने से पहले सेना में रही हैं और मेजर के पद पर कार्य किया है। वे बारह महीने के लिए इराक में भी तैनात रह चुकी हैं। वह वर्ष 2013 से लगातार अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक सांसद हैं।
तुलसी के भारतीय मूल के होने के कयास लगाये जाते रहे हैं, लेकिन वह अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। वह नरेन्द्र मोदी की बड़ी समर्थक हैं। वर्ष 2014 में उन्होंने खुलेतौर पर कई मंचों से उनका समर्थन किया। उन्हें अपनी एक गीता भी भेंट की। उन्होंने वर्ष 2002 में नरेन्द्र मोदी को अमेरिका का वीजा न दिये जाने का विरोध किया था। साथ ही भारतीय देवयानी खोबरागढ़ की गिरफ्तारी का भी मुखर विरोध किया। यहां तक कि उड़ी हमलों के बाद अमेरिकी संसद में पाकिस्तान के साथ सम्बन्धों पर पुनर्विचार करने पर जोर दिया था।
हिन्दू मान्यताओं से गहरी जुड़ी तुलसी पूर्णत: शाकाहारी हैं। वह चैतन्य महाप्रभु के आध्यात्मिक आंदोलन गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय का अनुकरण करती हैं। यहां तक कि उनके भाई-बहन भी हिन्दू हैं, जिनके नाम भक्ति, जय, नारायण और वृंदावन हैं। उनका मानना है कि श्रीमद्भकगवद्गी ता उनका आध्यात्मिक मार्गदर्शन करती है। वह कर्मयोग में गहरी आस्था रखती हैं। तुलसी भारत आने को लेकर उत्साहित हैं और खासकर वृंदावन जाना चाहती हैं। तुलसी ने वर्ष 2015 में अब्राहम विलियम से वैदिक रीति-रिवाज से विवाह किया था।
अमेरिका के समाओ द्वीप समूह के लेलोआ लोआ में एक सम्भ्रांत राजनीतिक परिवार में 12 अप्रैल, 1981 को जन्मी तुलसी गेबार्ड के पिता माइक गेबार्ड हवाई द्वीप समूह की राजनीति में अपनी खास पहचान रखते हैं। कालांतर में तुलसी की मां कैरोल पोर्टर ने हिन्दू धर्म अपना लिया। जब तुलसी एक साल की थीं तो उनका परिवार अमेरिका आकर बस गया। तुलसी की परवरिश मिले-जुले धार्मिक परिवेश में हुई क्योंकि जहां पिता कैथोलिक धर्म के अनुयायी थे  वहीं माता हिन्दू धर्म को मानने वाली। लेकिन उनके पिता ने हिन्दू पूजा-पद्धति का विरोध नहीं किया। 
तुलसी ने किशोर अवस्था में हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया। तुलसी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने घर पर ही की। वर्ष 2009 में उन्होंने हवाई पैसिफिक यूनिवर्सिटी से बिजनेस प्रबंधन में स्नातक की डिग्री हासिल की। बाद में 16 साल तक सेना में सेवायें दीं। वर्ष 2006 में अशांत इराक में तैनात रहीं।
तुलसी 6 नवम्बर, 2012 में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए डेमोक्रेट सांसद के रूप में चुनी गई। वे अपने इलाके में रिकॉर्ड मतों से जीतती रही हैं। तुलसी भारत के साथ मजबूत अमेरिकी सम्बन्धों की पक्षधर रही हैं। लेकिन आजकल राष्ट्रपति चुनाव में उनकी दावेदारी के खिलाफ अमेरिका में अभियान चलाया जा रहा है। उन्हें हिन्दू राष्ट्रवादी बताया जा रहा है। लेकिन वे बेबाक होकर इसका विरोध कर रही हैं। उन्होंने कहा कि गैर-हिन्दू नेताओं से कुछ न पूछना और अमेरिका के लिए उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना दोहरे मापदंडों का परिचायक है। उन्होंने उनके समर्थकों व दानदाताओं के खिलाफ अभियान चलाने की आलोचना की। वह कहती हैं अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए पहली हिन्दू अमेरिकी दावेदार होने पर मुझे गर्व है।

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